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सिस्टम से खिलवाड़ - नीट में जीरो नंबर, फिर भी एमबीबीएस में मिला एडमिशन

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 17 2018 11:07AM | Updated Date: Jul 17 2018 11:07AM
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नई दिल्ली। देश के एजुकेशन सिस्टम से किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है, इसका उदाहरण साल 2017 में एमबीबीएस में हुए एडमिशन हैं। बड़ी संख्या में ऐसे छात्रों को भी एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन मिल गए जिनके नीट में एक या दो या फिर दोनों विषयों में जीरो या सिंगल डिजिट नंबर हैं। 
 
मेडिकल कोर्सेज में एडमिशन के लिए आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा नीट में कम से कम 400 छात्रों को फिजिक्स और केमिस्ट्री में सिंगल डिजिट में नंबर मिले और 110 छात्रों को जीरो नंबर। फिर भी इन सभी छात्रों को एमबीबीएस कोर्स में दाखिला मिल गया। ज्यादातर छात्रों को दाखिला प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में मिला है। इससे यह सवाल उठता है कि जीरो नंबर मिलने के बाद भी अगर इन छात्रों को एडमिशन मिल सकता है तो फिर टेस्ट की क्या जरूरत रह जाती है। 
 
पर्सेंटाइल सिस्टम का नतीजा
हाल ही में उन 1,990 छात्रों के मार्क्स का विश्लषण किया गया जिनका 2017 में एडमिशन हुआ और उनके मार्क्स 150 से भी कम हैं। 530 ऐसे स्टूडेंट्स सामने आए जिनको फीजिक्स, केमिस्ट्री या दोनों में जीरो या सिंगल डिजिट में नंबर मिले। शुरू में कॉमन एंट्रेंस  के लिए जारी किए गए नोटिफिकेशन में हर विषय में कम से कम 50 फीसदी नंबर लाना अनिवार्य किया गया था। 
 
बाद में आए नोटिफिकेशन में पर्सेंटाइल सिस्टम को अपनाया गया और हर विषय में अनिवार्य नंबर की बाध्यता खत्म हो गई। इसका असर यह हुआ कि कई कॉलेजों में जीरो या सिंगल डिजिट नंबर लाने वाले छात्रों को भी ऐडमिशन मिल गया। एमबीबीएस कोर्स में 150 या उससे थोड़े ज्यादा मार्क्स लाकर एडमिशन पाने वाले छात्रों के कई उदाहरण हैं। 2017 में 60,000 सीटों के लिए 6.5 लाख से ज्यादा छात्रों ने क्वॉलिफाई किया। इनमें से 5,30,507 छात्रों को प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिला है। उन लोगों ने औसत ट्यूशन फीस के तौर पर 17 लाख रुपए प्रति वर्ष का भुगतान किया है। 
 
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