नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में दिल्ली पुलिस की एसआइटी (विशेष जांच दल) ने सवा चार साल बाद पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दायर की है। एसआइटी ने आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा के तहत चार्जशीट दायर की है। करीब 3000 पेज की चार्जशीट में एसआइटी ने शशि थरूर को मुख्य संदिग्ध आरोपित माना है।
उन्हें कॉलम नंबर 11 में रखा गया है। इस कॉलम में आरोपित को रखने पर बिना गिरफ्तारी के चार्जशीट दायर की जा सकती है।इसमें आईपीसी की धारा 306 और 498अ के तहत शशि थरूर को आरोपी बनाया गया है। कानून के जानकारों की मानें तो आरोपी शशि थरूर अगर दोषी साबित हुए, तो उन्हें अधिकतम 10 साल की सजा हो सकती है।
यह कहता है कानून
आईपीसी की धारा 498अ के तहत महिला के साथ पति द्वारा क्रूरता से पेश आना और धारा 306 के तहत खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला बनता है। कानून के जानकारों के मुताबिक, अगर आरोपी का दोष साबित होता है, तो धारा 306 के तहत अधिकतम 10 और 498 ए के तहत अधिकतम 3 साल तक की जेल हो सकती है।
शशि थरूर ने दिया जवाब, आरोप गलत
चार्जशीट को लेकर शशि थरूर ने कहा है कि आरोप पूरी तरह से गलत हैं, वे इसके खिलाफ लड़ेंगे। वहीं, पुलिस चार्जशीट पर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि इस केस से जुड़े सभी गवाहों और दस्तावेजों को यूपीए सरकार और भ्रष्ट पुलिस ने नष्ट कर दिया था। वर्तमान साक्ष्य के आधार पर यह चार्जशीट दाखिल हुई है। पहले सुनंदा की मौत मामले में अज्ञात के खिलाफ हत्या की धारा में केस दर्ज किया गया था, लेकिन जांच में एसआइटी को हत्या के सुबूत नहीं मिले। एसआइटी को जो सुबूत मिले हैं, उसके अनुसार सुनंदा को काफी प्रताड़ित किया जाता था और उनकी पिटाई की जाती थी।
एसआइटी का मानना है कि थरूर की प्रताड़ना से तंग आकर सुनंदा ने खुदकशी की थी। पटियाला हाउस कोर्ट चार्जशीट पर 24 मई को संज्ञान लेगा। उसी दिन कोर्ट शशि थरूर को समन जारी कर सकता है। एसआइटी के मुताबिक, आइपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) चार्जशीट में इसलिए शामिल की गई है, क्योंकि सुनंदा के शरीर पर चोट के 12 निशान मिले थे। इससे साफ पता चलता है कि थरूर ने सुनंदा के साथ मारपीट की थी। वहीं, धारा 498 ए इसलिए लगाई गई है, क्योंकि थरूर व सुनंदा का वैवाहिक जीवन काफी तनावपूर्ण था।
17 जनवरी 2014 को चाणक्यपुरी स्थित पाच सितारा होटल लीला पैलेस के सुइट नंबर 345 में संदिग्ध परिस्थितियों में सुनंदा की मौत हो गई थी। इससे एक दिन पहले उनके और पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार के बीच ट्विटर पर कथित बहस हुई थी।यह बहस शशि थरूर के साथ मेहर की बढ़ती नजदीकियों को लेकर हुई थी। 29 सितंबर 2014 को एम्स के मेडिकल बोर्ड ने सुनंदा के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट दिल्ली पुलिस को सौंपी थी। इसमें कहा गया था कि उनकी मौत जहर से हुई है। बोर्ड ने कहा था कि कई ऐसे रसायन हैं जो पेट में जाने या खून में मिलने के बाद जहर बन जाते हैं।
लिहाजा, बाद में उनके वास्तविक रूप के बारे में पता लगाना बहुत मुश्किल होता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद 1 जनवरी 2015 को सरोजनी नगर थाने में अज्ञात के खिलाफ हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज कर लिया गया था। इसके बाद पुलिस ने सुनंदा के विसरा को जाच के लिए अमेरिका स्थित एफबीआइ लैब भेज दिया था, लेकिन वहा की लैब में भी जहर के बारे में पता नहीं लग सका था।सुनंदा की मौत के मामले में दिल्ली पुलिस थरूर के घरेलू सहायक नारायण सिंह, चालक बजरंगी और दोस्त संजय दीवान का पॉलीग्राफ टेस्ट भी करवा चुकी है।
थरूर ने चार्जशीट को बताया अकल्पनीय शशि थरूर ने इस चार्जशीट को अकल्पनीय बताया है। उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताते हुए कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही है। थरूर ने दो ट्वीट कर इस मामले में अपना पक्ष रखा है।उन्होंने लिखा है कि जो कोई भी सुनंदा को जानता था, उसे यह बात पता है कि अकेले मेरे उकसाने से वह खुदकशी नहीं कर सकती। सवा चार साल की जाच के बाद दिल्ली पुलिस का ऐसे नतीजों पर पहुंचना उसकी मंशा पर सवाल खड़े करता है।