संयुक्त राष्ट्र। भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की 127वीं जयंती के मौके पर शनिवार को सिक्खों के एक समूह ने भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के साथ कथित अत्याचारों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में प्रदर्शन किया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने आंबेडकर की 127वीं जयंती का जश्न मनाने के लिए शुक्रवार को लीविंग नो वन बिहाइंड शीर्षक से विशेष कार्यक्रम आयोजित किया था।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने जैसे ही कार्यक्रम में बोलना शुरू किया, तभी कॉन्फ्रेंस कक्ष में मौजूद सिक्खों का एक समूह खड़ा हो गया और अल्पसंख्यक खतरे में तथा नेवर फॉर्गेट 84 लिखे पोस्टरों के साथ ही अयोध्या के बाबरी ढांचे और अमृतसर में स्वर्ण मंदिर की तस्वीर वाले पोस्टर लहराए। अकबरुद्दीन ने प्रदर्शन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अपना भाषण देते रहे। करीब 15 सिक्खों ने अपनी पगड़ी पर काले बैंड लगा रखे थे और वे अकबरुद्दीन के भाषण के दौरान चुपचाप हाथों में पोस्टर लिए खड़े रहे। जैसे ही अकबरुद्दीन का भाषण समाप्त हुआ, सिक्ख समूह कॉन्फ्रेंस कक्ष से बाहर निकल गया।
भाजपा पर लगाया देश को हिंदू राष्ट्र बनाने का आरोप
शिरोमणि अकाली दल अमृतसर यूएसए और युवा अकाली दल अमृतसर यूएसए से जुड़े सिक्खों ने सुरक्षाकर्मियों को बताया कि वे चुपचाप शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे। एक प्रदर्शनकारी सबजीत सिंह ने बताया आंबेडकर का विजन सभी समुदायों, अल्पसंख्यकों और दलितों के लिए समानता सुनिश्चित करने का था और उन्होंने भारतीय संविधान में भी इसका उल्लेख किया है, लेकिन भारत में सत्ता में आई भाजपा सरकार देश को एक हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती है। वे सिक्खों, ईसाइयों, मुस्लिमों, दलितों के खिलाफ अत्याचार कर रहे हैं। हम भारत में सभी समुदायों की ओर से यहां शांतिपूर्वक संदेश देना चाहते हैं कि समानता स्थापित करने का आंबेडकर का विजन अब भी सच नहीं हुआ है।