नई दिल्ली। अवैध तरीके से कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड (सीडीआर) हासिल करने के आरोपों के तहत गिरफ्तार और बाद में रिहा किए आरोपी अधिवक्ता रिजÞवान आलम सिद्दिकी को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया। मुंबई पुलिस ने आरोपी अधिवक्ता को पिछले सप्ताह गिरफ्तार किया था, लेकिन बॉम्बे उच्च न्यायालय ने उसकी रिहाई का आदेश दिया था। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की अपील पर आरोपी अधिवक्ता को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया। शीर्ष अदालत ने ठाणे के पुलिस उपायुक्त सहित महाराष्ट्र पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक भी लगा दी।
उच्च न्यायालय ने आरोपी अधिवक्ता को गिरफ्तार करने के लिए इन अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया था। सिद्दिकी के खिलाफ बॉलीवुड अभिनेताओं के सीडीआर हासिल करने का रैकेट चलाने का आरोप है। महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि यह पैसे की खातिर चलाया जा रहा बहुत बड़ा गोरखधंधा है। ये लोग पैसे कमाने की खातिर बॉलीवुड की हस्तियों का कॉल रिकॉर्ड हासिल करते हैं। गौरतलब है कि आरोपी अधिवक्ता की पत्नी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर उच्च न्यायालय ने ठाणे स्थित अपराध जांच विभाग (सीआईडी) के पुलिस उपायुक्त अभिषेक त्रिमुखे के खिलाफ कुछ टिप्पणियां करते हुए सिद्दिकी की रिहाई का आदेश दिया था।
महाराष्ट्र सरकार ने अपनी याचिका में इन टिप्पणियों को यह कहते हुए हटाने का शीर्ष अदालत से अनुरोध किया है कि गिरफ्तार करने वाला पुलिस अधिकारी का बेदाग रिकॉर्ड रहा है। राज्य सरकार की दलील है कि डीसीपी अभिषेक त्रिमुखे मामले के जांच अधिकारी नहीं थे, लेकिन वह पुलिस आयुक्त के निर्देश पर और उच्च न्यायालय के सम्मान में अदालत कक्ष में निजी तौर पर पेश हुए थे, लेकिन उनके खिलाफ बॉम्बे उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की है, जबकि यह पुलिस अधिकारी निष्कलंक रिकॉर्ड वाला है।