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इन तीन एनजीओ को मिली इतने करोड़ की एचसीएल ग्रांट

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 22 2018 3:55PM | Updated Date: Mar 22 2018 3:55PM
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नई दिल्ली। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनी एचसीएल टेक्नोलॉजी के लोक कल्याणकारी संगठन एचसीएल फाउंडेशन ने शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले तीन गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को इस वर्ष 15 करोड़ रुपए का एचसीएल ग्रांट देने की घोषणा की है। एचसीएल फाउंडेशन की प्रमुख एवं कंपनी के सीएसआर निदेशक निधि पुनधीर ने आज यहां यह जानकारी देते हुए कहा कि एचसीएल ग्रांट का यह तीसरा संस्करण है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष जिन एनजीओ का चयन किया गया है उनमें स्वास्थ्य क्षेत्र से इल्यूथेरॉस क्रिश्चियन सोसायटी, पर्यावरण क्षेत्र से कीस्टोन फाउंडेशन और शिक्षा के क्षेत्र में रॉयल कॉमनवेल्थ सोसायटी आॅफ द ब्लांइड (साइटसेवर्स) शामिल है। इन तीनों एनजीओ को पांच-पांच करोड़ रुपये तक का अनुदान मिलेगा। 

  उन्होंने बताया कि इस वर्ष एचसीएल ग्रांट के लिए पूरे देश से विभिन्न क्षेत्रों से 3,500 आवेदन प्राप्त हुये थे। इनमें से 49 एनजीओ का उनके कार्यक्षेत्र का भ्रमण के लिए चयन किया गया था। विशेषज्ञों के दल के चयनित एनजीओ के कार्यक्षेत्रों का भ्रमण करने के दौरान कई पैमाने पर उनका मूल्यांकन किया गया और उसके आधार पर 30 एनजीओ का उप चयन समिति के समक्ष रखने के लिए चयन किया गया। 

उन्होंने कहा कि उप समिति ने उनमें से नौ एनजीओ को चयन समिति के समक्ष भेजने के लिए चयनित किया। इस वर्ष एचसीएल ग्रांट के लिए चयन समिति में पॉम कंप्यूंिटग के पूर्व अध्यक्ष एवं एचसीएल टेक्नालॉजीज के निदेशक मंडल के सदस्य रॉबिन अब्राह्म, इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च आॅन इंटरनेशनल ईकोनोमिक रिलेशंस की अध्यक्ष इशरज अहलुवालिया, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के पूर्व निदेशक बी एस बासवान और एचसीएन के संस्थापक एवं अध्यक्ष शिव नादर आदि शामिल थे। 

श्रीमती पुनधीर ने कहा कि अभी एचसीएल ग्रांट के सहयोग से देश के 22 जिलों के करीब 2,450 गांवों में कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं जिससे करीब छह लाख लोगों को लाभ हो रहा है। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में एचसीएल ग्रांट से कार्यक्रम में चल रहे हैं उनमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, झारखंड और महाराष्ट्र शामिल है। 

उन्होंने कहा कि अब तक जिन- जिन एनजीओ को ये अनुदान दिये गये हैं उनके कार्याें की हर तिमाही निगरानी की जाती है और तीसरे पक्ष से आॅडिंिटग भी करायी जाती है ताकि ग्रांट की राशि का सही उपयोग हो सके। 

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