नई दिल्ली। केन्द्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने देश में बौद्धिक संपदा अधिकारों के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए मंगलवार को कहा कि पेंटेंट और ट्रेडमार्क की प्रक्रियों को सरल बनाया जा रहा है। प्रभु ने यहां 'जालसाजी तथा प्रवर्तन एजेंसियों की भूमिका' पर दो दिन के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत बौद्धिक संपदा अधिकारों को समर्थन देने वाले विश्व के पहले देशों में है। भारत ने विशेष रूप से फार्मास्युटिकल क्षेत्र में पहल की है। उन्होेंने कहा कि सरकार बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रति पूरी तरह संकल्पबद्ध है और इस दिशा में नई बौद्धिक संपदा अधिकार नीति (एनआईपीआर नीति), 2016 बनायी गयी है। इससे विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार और सृजन में तेजी आएगी और आईपीआर विषयों के संबंध में स्पष्ट दृष्टिकोण प्राप्त होगा। सम्मेलन में प्रभु ने औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग के विभिन्न कार्यक्रमों की चर्चा की। इनमें नागरिकों तथा कंपनियों के लिए जागरूकता कार्यक्रम, प्रवर्तन एजेंसियों को मजबूत बनाना, न्यायपालिका को संवेदनशील बनाना तथा पेटेंट और ट्रेडमार्क के लिए आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाना शामिल है। इस अवसर पर भारत और भूटान में यूरोपीय संघ के राजदूत तोमास्ज कोजलोवस्की ने कहा कि सृजन और नवाचार के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों का संरक्षण महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जालसाजी तथा चोरी के उत्पादों का हिस्सा विश्व कारोबार का 2.5 प्रतिशत है।