नईदिल्ली। देश में जैव ईंधन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक ऐसी तकनीक पर काम कर रहे हैं जिसमें शैवाल से जैव ईंधन बनाया जा सकेगा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सचिव आशुतोष शर्मा ने बताया कि सरकार ने परिवहन के लिए इस्तेमाल होने वाले ईंधन में जैव ईंधन की हिस्सेदारी वर्ष 2025 तक बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए कई मोर्चों पर काम चल रहा है। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की प्रयोगशाला रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान के नेतृत्व में देश के कई संस्थान इस तकनीक पर काम कर रहे हैं। अभी उनके अनुसंधान तीसरे से छठे स्तर के बीच हैं। टेक्नोलॉजी रेडिनेस लेवल (टीआरएल) में एक से नौ का स्तर होता है। इसमें अनुसंधान के तीसरे से छठे स्तर के बीच होने का मतलब प्रौद्योगिकी विकास का चरण होता है।
काफी जल्दी उग जाता है शैवाल
टिकाऊ जैव ईंधन पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन से इतर डॉ. शर्मा ने बताया शैवाल की खासियत यह है कि यह काफी जल्दी उगता है। इसलिए, शैवाल से जैव ईंधन बनाने की तकनीक विकसित होने पर इसकी उपलब्धता बढ़ जाएगी। साथ ही यह कार्बन डाईआॅक्साइड का अवशोषण कर वातावरण को भी स्वच्छ बनाता है। यह काफी उत्साहजनक है। उन्होंने बताया कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय मिलकर नयी जैव ईंधन नीति पर भी काम कर रहे हैं।