वायनाड। केरल के वायनाड में चार बच्चों समेत एक आदिवासी परिवार को वन अधिकारियों ने सुरक्षित बचा लिया है। यह परिवार जंगल में फंसा था। अधिकारियों की दिलेरी की चर्चा चारों तरफ हो रही है। बचाव दल को परिवार तक पहुंचने में साढ़े चार घंटे से अधिक समय लगा। परिवार में एक से चार वर्ष आयु के चार बच्चे भी थे।
वायनाड में भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है। आदिवासी परिवार जंगल में एक गुफा में फंसा था। जानकारी मिलने पर कलपेट्टा रेंज के वन अधिकारी के. हशीस के नेतृत्व में चार सदस्यीय दल बृहस्पतिवार को जंगल के भीतर खतरनाक रास्तों पर निकल पड़ा। आदिवासी परिवार का ताल्लुक पनिया समुदाय से है।
बचाव टीम में कलपेट्टा रेंज के वन अधिकारी के. हशीस, खंड वन अधिकारी बी.एस जयचंद्रन, बीट वन अधिकारी के अनिल कुमार और त्वरित प्रतिक्रिया दल के सदस्य अनूप थॉमस शामिल थे। इन अधिकारियों ने जंगल में सात किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करके आदिवासी परिवार की जान बचाई।
हशीस ने शुक्रवार को बताया कि उन्हें बृहस्पतिवार को एक महिला और चार साल का बच्चा वन क्षेत्र के पास मिला। उन्होंने बताया कि तीन बच्चे और उनका पिता एक गुफा में फंसे हैं। उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं है। हशीस ने बताया कि परिवार जनजातीय समुदाय के एक विशेष वर्ग से ताल्लुक रखता है। यह लोग आमतौर पर बाहरी लोगों से घुलना-मिलना पसंद नहीं करते हैं।
वन अधिकारी के मुताबिक यह समुदाय वनोंत्पादों पर निर्भर रहता है। इन्हें स्थानीय बाजार में बेचकर चावल खरीदते हैं। अधिकारी ने बताया कि भारी बारिश के बीच फिसलन भरी और खड़ी चट्टानों पर चढ़ाई करनी पड़ी। बच्चे काफी सहमे और थके थे। हम जो कुछ भी साथ ले गए थे, उन्हें खाने को दिया। काफी समझाने-बुझाने के बाद उनके पिता हमारे साथ आने पर राजी हुआ। हमने बच्चों को अपने शरीर से बांधा और नीचे उतरना शुरू किया।
अट्टमाला कार्यालय में बच्चों को खाना खिलाया गया और कपड़े व जूते दिए गए। बच्चे अब सुरक्षित हैं। फिलहाल अट्टामाला में रखा गया है। बता दें कि शुक्रवार को इंटरनेट मीडिया पर एक अधिकारी द्वारा एक बच्चे को गोद में उठाने की तस्वीर वायरल हो गई थी। इस पर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने वन अधिकारियों के साहसिक प्रयास की सराहना की थी।