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पाकिस्तान के पूर्व PM इमरान खान और बुशरा बीबी को राहत, गैर-इस्लामिक विवाह मामले में कोर्ट ने किया बरी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 13 2024 6:04PM | Updated Date: Jul 13 2024 6:04PM
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इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को इद्दत मामले में बड़ी राहत मिली है। इस्लामाबाद की एक जिला एवं सत्र अदालत ने शनिवार को उनकी दोष सिद्धि के खिलाफ दायर अपीलों को स्वीकार कर लिया, जिससे इमरान को जेल में रखने वाला अंतिम कानूनी मामला भी खत्म हो गया।

इमरान खान और बुशरा बीबी को आम चुनावों से पहले इद्दत मामले में दोषी ठहराया गया था। बुशरा के पूर्व पति खावर फरीद मनेका ने शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी पूर्व पत्नी ने इद्दत अवधि के दौरान निकाह किया है। वरिष्ठ सिविल जज कुदरतुल्लाह ने पूर्व पीएम और उनकी पत्नी को सात वर्ष की जेल की सजा सुनाई थी। साथ ही प्रत्येक पर पांच-पांच लाख पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना लगाया था। इस फैसले की नागरिक समाज, महिला कार्यकर्ताओं और वकीलों ने आलोचना की थी।

पहले, जिला एवं सत्र न्यायाधीश (डीएसजे) शाहरुख अर्जुमंद इस मामले की सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने मई में फैसला सुरक्षित रख लिया था। हालांकि बाद में उन्होंने अगली सुनवाई में केस को स्थानांतरित करने की मांग की। इसके बाद मामले को अतिरिक्त ADSJ अफजल मजोका की कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया। पिछले महीने मजोका ने इमरान खान और उनकी पत्नी द्वारा उनकी सजा को निलंबित करने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। उन्होंने फैसला सुरक्षित रखने के बाद आज (शनिवार) फैसला सुनाया। मजोका ने कहा, अगर वे किसी अन्य मामले में आरोपी नहीं हैं तो पीटीआई संस्थापक और बुशरा बीबी को तुरंत जेल से रिहा किया जाना चाहिए।

आइए प्वाइंट्स में आपको बताते हैं क्या है इद्दत?

इस्लाम में शरियत के मुताबिक, किसी मुस्लिम औरत के पति के निधन के बाद कुछ दिनों तक दूसरे निकाह करने पर पाबंदी होती है।

इद्दत के तय समय तक महिला दूसरा निकाह नहीं कर सकती। इस तय दिन को इद्दत कहा जाता है।

ये समय चार महीने दस दिन का होता है। इस दौरान महिला को गैर मर्दों से पर्दा करना जरूरी होता है।

इद्दत की अवधि पूरी न हो और महिला के प्रेग्नेंसी का पता चलने पर बच्चे पर प्रश्न उठ सकते हैं। शिशु का पिता कौन है? इस प्रकार का सवाल ना उठे, इसलिए इद्दत का समय तय किया गया है। यदि महिला गर्भवती है तो बच्चे के जन्म तक दूसरा निकाह नहीं कर सकती।

पति के मृत्यु के बाद महिला को भावनात्मक रूप से संभलने की जरूरत होती है। ऐसी स्थिति में दूसरे पुरुष से संबंध बनाना किसी भी औरत के लिए मुश्किल होत है। महिला को पति के जाने के दुख से उभारने के लिए कुछ समय दिया जाता है, जो इद्दत का समय है।

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