नई दिल्ली। जनरल मनोज मुकुंद नरवणे शनिवार को सेना प्रमुख बनाए जाने के बाद पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि अभी हम भविष्य में काम आने वाली ट्रेनिंग पर ध्यान केंद्रीत किये हुए हैं। हमारा जोर संख्याबल पर नहीं, गुणवत्ता पर है। नरवणे ने आगे कहा कि संविधान के प्रति निष्ठा हर वक्त हमारा मार्गदर्शन करेगा। संविधान में निहित न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की भावना हमें मार्गदर्शन करता रहेगा।
राजनीतिक नेतृत्व द्वारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) को भारत में शामिल करने की टिप्पणी पर सेना प्रमुखने कहा, यह एक संसदीय संकल्प है कि संपूर्ण जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है। यदि संसद यह चाहती है, तो उस क्षेत्र (पीओके) को भी भारत में होना चाहिए। जब हमें इस बारे में कोई आदेश मिलेंगे, तो हम उचित कार्रवाई करेंगे।
उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण का फोकस भविष्य के युद्धों के लिए सेना को तैयार करने पर होगा जो नेटवर्क केंद्रित और जटिल होगा। उन्होंने कहा कि प्रमुख रक्षा अध्यक्ष पद का गठन तीनों सेवाओं के बीच एकीकरण की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। हमारा ध्यान सेना के भीतर और सभी सेवाओं के बीच एकीकरण पर होगा। सबको साथ लेकर चलेंगे।
चीन द्वारा सीमावर्ती क्षेत्र में किये जा रहे सैन्य बुनियादी ढांचे के विस्तार को लेकर सेना प्रमुख नरवणे ने कहा कि हम उत्तरी सीमा पर उभरी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं. आपको बता दें कि पूर्व सेना प्रमुख विपिन रावत के इस्तीफा देने के बाद नरवणे ने 31 दिसंबर को 28वें सेना प्रमुख का पदभार संभाला था।