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बलात्कारियों को मौत की सजा देने संबंधी दिशा विधेयक पारित लागू

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 14 2019 2:08AM | Updated Date: Dec 14 2019 2:08AM
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अमरावती। आंध्र प्रदेश विधानसभा ने बलात्कारियों को मौत की सजा देने तथा महिलाओं पर अपराध के मामलों में कठोर कार्रवाई करने के लिए विशेष अदालतों के गठन को लेकर शुक्रवार को दिशा विधेयक पारित किया। आंध्र प्रदेश दिशा विधेयक-आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2019 में दंड संहिता में संशोधन करते हुए कहा गया है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले सभी अपराधों की जांच होगी और इनका तेजी से निपटारा किया जाएगा। इसमें बलात्कारियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। दिशा विधेयक-आंध्र प्रदेश महिला एवं बच्चों के खिलाफ होने वाले चिन्हित अपराध विधेयक 2019 में महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के भी गठन का प्रावधान है।
 
राज्य सरकार अब इसके तहत विशेष अदालतों का गठन करेगी। मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने सदन में इस मुद्दे पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि दिशा विधेयक राज्य और केंद्र दोनों की समवर्ती सूची में शामिल है इसलिए इसे राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजा जाएगा। यह बहस एवं चर्चाओं के जरिये पूरे राष्ट्र का ध्यान अपनी ओर खींचेगा। उन्होंने कहा कि दोनों ही विधेयक उस व्यवस्था का भी सही जवाब होंगे जहां ऐसे मामलों के त्वरित निष्पादन और दोषियों को सजा देने की जरूरत है। रेड्डी ने कहा कि निर्भया कांड ऐसा ही उदाहरण है जिसमें दोषियों को अब तक सजा नहीं मिली है तथा पीड़ति के परिजन त्वरित एवं निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।
 
इसके साथ-साथ लोगों की भावनाओं तथा हाल में सुलझाये गये दिशा मामले पर विधेयक के मसौदे तैयार करने से पहले विचार किया गया। नये विधेयक में बलात्कारियों को उन मामलों में मौत की सजा देने का प्रावधान है जिनमें निष्कर्षात्मक साक्ष्य होंगे लेकिन इसके लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 में संशोधन की जरूरत होगी। इसमें फैसले की अवधि घटाकर 21 कार्यकारी दिवस कर दिया गया है और जांच का काम सात दिनों के भीतर पूरा करना है तथा सुनवाई 14 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी। दिशा विधेयक में बच्चों के विरूद्ध यौन शोषण के मामलों में दोषियों को आजीवन कारावास का प्रावधान है।
 
इसमें आईपीसी की धारा 354 एफ और 354 जी को भी शामिल किया गया है। विधेयक में सोशल या डीजिटल मीडिया के जरिये महिलाओं के उत्पीड़न मामले में पहली बार दोषी पाये जाने पर दो वर्ष की कैद तथा दूसरी बार या उसके बाद पकड़े जाने पर चार वर्ष की कैद की सजा का प्रावधान है। इसके लिए आईपीसी, 1860 में 354 ई नामक नयी धारा जोड़ी गयी है। मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए राज्य सरकार राज्य के सभी 13 जिलों में विशेष अदालतों का गठन करेगी।
 
इन अदालतों में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न, बलात्कार, तेजाब हमलों, सोशल मीडिया के जरिये महिलाओं के शोषण, पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज सभी मामलों तथा अन्य संगीन मामलों की सुनवाई करेगी। राज्य सरकार इन मामलों की जांच एवं सुनवाई के लिए विशेष पुलिस दस्तों तथा सरकारी वकीलों की नियुक्ति करेगी। इससे पूर्व गृह मंत्री एम सुचारिता ने कहा कि महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ होने वाले सभी अपराधों में त्वरित न्याय के लिए कानून में संशोधन की आवश्यकता है। हैदराबाद के बाहर हाल में हुई दिशा घटना ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था।      
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