नई दिल्ली। संसद की एक स्थायी समिति ने राजधानी दिल्ली में यातायात की गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए इस समस्या के समाधान के लिए कई दूरगामी सिफारिश की हैं जिनमें नये वाहन के पंजीकरण से पहले पुराने वाहन के निपटान को अनिवार्य बनाने की बात कही गयी है। कांग्रेस के आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मंत्रालय की विभाग संबंधी स्थायी समिति की ‘ दिल्ली में बिगड़ती यातायात स्थिति के प्रबंधन’ पर रिपोर्ट आज राज्यसभा में पेश की गयी। समस्या का विस्तार से अध्ययन और विश्लेषण करने के बाद समिति ने 107 सिफारिशें की हैं। समिति ने राजधानी में वाहनों की बढती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए इस पर रोक लगाने के लिए व्यापक उपाय करने को कहा है।
इन उपायों में नये वाहन के पंजीकरण से पहले पुराने वाहन के निपटान को जरूरी बनाने, खरीदार के घर में पार्किंग की जगह और बीमा प्रीमियम को यातायात उल्लंघन से जोड़ने को कहा है। पुराने और अनफिट वाहनों के चलने पर चिंता व्यक्त करते हुए उसने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के आदेशों के पालन और पेट्रोल के 15 साल तथा डीजल के 10 साल पुराने वाहनों के चलने पर रोक लगाने की सिफारिश की है। दिल्ली में हर रोज 12 लाख वाहनों के प्रवेश का उल्लेख करते हुए समिति ने यातायात प्रबंधन नियमन में कमी पर निराशा जाहिर की। उन्होंने पीक ऑवर में पडोसी राज्यों से दिल्ली में आने वाले वाहनों के नियमन पर भी जोर दिया है।
उअल्पकालिक परियोजनाओं के 2020 तक और दीर्घावधि योजनाओं के 2025 तक पूरा होने का उल्लेख करते हुए समिति ने इनके समय सीमा में क्रियान्वयन पर जोर दिया और मंत्रालय से इस बारे में समिति को नियमित रूप से जानकारी देने को कहा। समिति ने दिल्ली सरकार से अतिरिक्त 6000 बसें जल्द सड़कों पर उतारने को कहा। समिति ने ऑड ईवन योजना के प्रभाव का पता लगाने के लिए एक अध्ययन करने को भी कहा। समिति ने विशिष्ट व्यक्तियों , दो पहिया वाहनों और एंबुलेंस जैसे आपात वाहनों के लिए सड़क पर अलग लेन बनाने की भी सिफारिश की है।