नई दिल्ली। सरकार ने विपक्ष के कड़े विरोध के बीच बुधवार को ‘सामाजिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2019’ लोकसभा में पेश में किया। श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने विधेयक लाने में जल्दबाजी करने के विपक्ष के आरोप गलत बताया और कहा कि इसमें श्रमिकों के कल्याण की सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की गयी है। विधेयक को लाने की तैयारी 2014 से की जा रही है और इसमें सभी जरूरी बातों का समावेश किया गया है। उन्होंने कहा कि इसमें श्रमिकों के कल्याण से जुड़ी जटिलाताओं को खत्म किया गया है। श्रमिकों के कल्याण के लिए पहले 44 कानून थे जिनको एकबद्ध कर सिर्फ चार कानूनों में बदला जा रहा है।
श्रमिक हितों से जुड़ी सभी जटिलताओं को दूर करने के लिए यह विधेयक लाया गया है। विधेयक में कैरियर सेवाओं की स्थापना और रखररखाव जैसे कई मुद्दों को शामिल किया गया है। विधेयक में 183 खंड है और पहले सभी कानूनों की बजाए एक कानून में सबको शामिल किया गया है। इससे पहले विधेयक का विरोध करते हुए आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन-आईएलओ से जुड़ा है और उसके अनुसार कर्मचारी कल्याण की व्यवस्था आवश्यक है। उन्होंने कहा कि विधेयक में कर्मचारियों की कई सुविधाओं को हटाया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि यह विधेयक 83 खंडों में हैं लेकिन इसको पढ़ने के लिए समय नहीं दिया गया है। विधेयक दो दिन पहले दिया जाता है लेकिन इसे आज सुबह ही वितरित किया गया है। तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि इस विधेयक को लाने में नियमों का उल्लंघन किया गया है। कर्मचारियों की भविष्य निधि तथा ईएसआई जैसी सुविधाओं को एक ही विधेयक में लाकर इसे जटिल बनाया गया है। कर्मचारी संगठनों से इसके बारे में नहीं पूछा गया है इसलिए विधेयक को समिति के पास भेजा जाना चाहिए।