नई दिल्ली। सरकार ने देश में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए फैसला किया है कि सभी प्रमुख पर्यटक स्थलों पर साल में एक लाख से अधिक संख्या में आने वाले पर्यटकों के देश की भाषा में संकेत पट्टिकाएं लगायीं जाएंगी और इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश में स्थित विश्वविख्यात बौद्ध पर्यटन स्थल सांची से हुई है।
संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि सांची में 27 से 30 लाख बौद्ध सैलानी केवल श्रीलंका से आते हैं जबकि उसके बाद कोरिया के पर्यटक आते हैं। अन्य बौद्ध देशों के पर्यटक भी बड़ी संख्या में आते हैं। सांची में संरक्षित गौतम बुद्ध के दो सारिपुत्त और महामोदगलायन शिष्यों की अस्थियों को प्रतिवर्ष की भांति 23 एवं 24 नवंबर को श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ बाहर निकाला जाता है और इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रीलंकाई एवं अन्य बौद्ध देशों के यात्री आते हैं। इस साल इस आयोजन के पहले ही बुधवार को सांची में सभी जगहों पर सिंहली एवं कोरियाई भाषा में संकेत पट्टिकाएं लगा दीं गयीं हैं।
पटेल ने कहा कि ऐसी ही पहल देश के सभी पर्यटक स्थलों पर की जाएगी और वहां आने वाले सर्वाधिक पर्यटकों की भाषा में संकेत पट्टिकाएं एवं संदेश आदि लिखे जाएंगे। इससे विदेशी पर्यटकों में अपनेपन का भाव प्रबल होगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देश के स्मारकों एवं बहुमूल्य धरोहरों के रखरखाव की व्यवस्था को मजबूत करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग में कर्मचारियों एवं अधिकारियों की संख्या 3671 से बढ़ाकर दस हजार से अधिक की जा रही है।
इसके अलावा पुरातात्विक खुदाई के लिए तय किया गया है कि जो भी अधिकारी उससे प्रारंभ में जुड़ा है या जुड़ेगा, उसे अंत तक बनाये रखा जाएगा और उसके तबादले से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि स्वदेश दर्शन एवं प्रसाद योजना के अच्छे परिणाम सामने आए हैं। पांच वर्षों में भारत 65वें पायदान से आगे बढ़कर 34वें स्थान पर आ गया है।