काबुल। अफगानिस्तान में राष्ट्रपति पद के लिए पिछले माह हुए मतदान के नतीजे बायोमैट्रिक मतदाता पहचान प्रणाली की प्रकिया में कमी रहने से पूर्व निर्धारित समय पर घोषित नहीं किए जा सकेंगे। चुनाव आयोग के सचिव हबीब उर रहमान नांग ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। अफगानिस्तान में 28 सितंबर को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान हुआ था और इसमें मतदान के लिए 95 लाख मतदाताओं ने पंजीकरण कराया था और किसी भी तरह की गड़बड़ी को टालने के लिए बायोमैट्रिक प्रणाली को अपनाया गया था।
नांग ने नतीजों में देरी के कारणों का खुलासा करते हुए कहा‘‘ हम पूर्व निर्धारित तिथि पर नतीजे घोषित करने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं लेकिन चुनाव के कुछ दिनों बाद भी किसी तरह की कोई निगरानी प्रणाली नहीं थी और कईं दिनों तक सिस्टम भी ठप रहा था। इसी वजह से बायोमैट्रिक डाटा को तुरंत कॉपी नहीं किया जा सका था।’’ चुनाव आयुक्त मौलाना मोहम्मद अब्दुल्लाह ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कुछ समस्याओं के बावजूद इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि आयोग के समक्ष कुछ दिक्कतें आई थी लेकिन कोई काम नहीं रूका है और नतीजों को पारदर्शी तरीकों से घोषित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
दूसरे चुनाव आयुक्त औरंगजेब ने जोर देकर कहा कि पारदर्शी तरीके से चुनावी नतीजों को घोषित करना प्राथमिकता होनी चाहिए और इसमें किसी तरह की कोई जल्दबाजी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह बात इतनी अहम नहीं है कि चुनावी नतीजों में देरी हो रही है लेकिन इनमें पारदर्शिता होना और इन्हें पूरे विश्वास के साथ घोषित करना अधिक महत्वपूर्ण है। अफगानिस्तान में अमेरिकी दूतावास, संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों ने भी इस बात पर जोर दिया है कि पारदर्शिता बरते जाने के वास्ते इन नतीजों में देरी हो सकती है।