नई दिल्ली। महिलाओं पर किये गये एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि बड़े शहरों में रहने वाली महिलाओं की तुलना में छोटे शहरों की महिलायें अधिक खुश रहती है और उन्हें अपने पति के साथ अधिक समय बीतने को मिलता है। दस भाषाओं में महिलाओं को टेक्स्ट, ऑडियो और वीडियो फॉर्मेट के जरिये खुद को अभिव्यक्त करने में मदद करने वाला यूजर जनरेटेड कंटेंट प्लेटफार्म मॉमस्प्रेसो ने ‘मॉम्स हैप्पीनेस इंडेक्स सर्वे’ रिपोर्ट जारी किया है। कंपनी ने बुधवार को यहां जारी इस रिपोर्ट को डायमंड प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (डीपीए) के साथ मिलकर तैयार किया है। इसके लिए किये गये सर्वेक्षण में पूरे देश की 2000 से अधिक महिलाओं को शामिल किया गया।
इस रिपोर्ट के अनुसार देश की 48 प्रतिशत महिलायें जीवन की अपनी वर्तमान स्थिति से खुश हैं। गैर-मेट्रो शहरों में रहने वाली महिलायें मेट्रो में रहने वाली महिलाओं की तुलना में अधिक खुश हैं। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि गैर-मेट्रो की ज्यादा महिलायें अपने आपको अच्छी मां के तौर पर रेट करती हैं। उनका वैवाहिक जीवन खुशहाल हैं और परिवार ज्यादा सहयोग करने वाले हैं। इसमें कहा गया है कि मेट्रो में रहने वाली महिलाओं की जिंदगी में गैर मेट्रो में रहने वाली महिलाओं की तुलना में अधिक तनाव है। इस सर्वेक्षण में शामिलओं से कुछ सवाल पूछे गये थे जिनमें मैं कितनी अच्छी माँ हूँ, मेरे पति कितने सपोर्टिव हैं, मेरे पास अपने लिए कितना समय है, आर्थिक रूप से मैं कितनी सशक्त हूं और ससुराल वाले कितने सपोर्टिव हैं आदि शामिल थे।
सर्वेक्षण के अनुसार मेट्रो में रहने वाली महिलाओं की तुलना में गैर मेट्रो में रहने वाली महिलाओं ने स्वयं, अपने पति और बच्चों को अच्छी रेटिंग दी है। गैर मेट्रो में रहने वाली 66 प्रतिशत महिलाओं का हफ्ते में दो से तीन बार अपने पति के साथ क्वालिटी टाइम गुजरता है, वहीं मेट्रो में रहने वाली 55 फीसदी महिलाओं के साथ ही ऐसा होता है। नॉन मेट्रो की 72 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि उन्हें बच्चों को अनुशासित करने में अपने पति का सहयोग मिलता है जबकि मेट्रो में रहने वाली सिर्फ 63 फीसदी महिलाओं का ही ऐसा अनुभव रहा।
इसके अलावा गैर मेट्रो में रहने वाली 69 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि वे अपनी शादी से खुश हैं जबकि मेट्रो में रहने वाली सिर्फ 56 प्रतिशत महिलाओं ने ऐसा कहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि मेट्रो में रहने वाली महिलाओं की तुलना में गैर मेट्रो में रहने वाली महिलाओं को घर के काम के लिए ससुराल वालों से अधिक मदद मिलती है। सर्वेक्षण में शामिल 80 प्रतिशत महिलाओं ने अपने बच्चों के लिए अच्छा रोल मॉडल बनने के लिए आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने की इच्छा व्यक्त की है। इसके अलावा वे अपनी सेल्फ-आइडेंटिटी को बढ़ाने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए वित्तीय स्वतंत्रता चाहती हैं।