नई दिल्ली। डॉक्टरों द्वारा हाल ही में किए गए एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि वैसे युवा जो दिनभर में तीन बार से ज्यादा सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं उनकी मेंटल हेल्थ ठीक नहीं है। युवाओं में तेजी से बढ़ रहे सोशल मीडिया के इस्तेमाल के कारण मानिसक बीमारी से पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है। हमारे युवा औसतन ढाई घंटा सोशल मीडिया पर बिता रहा है।
कुछ को तो इसकी ऐसी लत होती है कि सारा-सारा दिन फोन, इंटरनेट, लैपटॉप में घुसे रहते हैं। डिजिटाइजेशन के बाद अब इंटरनेट के बिना हमारा काम भी नहीं चलता। ऐसे में यह हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। युवाओं को तो इसकी ऐसी आदत हो गई है कि एक दो घंटे के लिए उनका फोन हाथ से छीन लो तो छटपटाने लगते हैं। उनमें बेचैनी और एन्जाइटी बढ़ जाती है। यही आगे चलकर मानसिक बीमारी का रूप ले लेती है।
रिसर्च में यह बात सामने आई कि वैसे युवा जो दिनभर में तीन बार से ज्यादा सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं वे साइकोलॉजिकल डिसट्रेस में रहते हैं। रिचर्स की रिपोर्ट के अनुसार खासकर लड़कियों ने कबूला कि वह खुश रहने की बजाय स्ट्रेस में रहती हैं। रिसर्च के दौरान कुल 1200 युवाओं को इसमें शामिल किया गया था। उनसे पूछा गया कि दिनभर में वह कितनी बार अपना वाट्सऐप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर चेक करते हैं? इस पर कई लोगों ने अलग-अलग जवाब दिए।
दिनभर में ज्यादा दफे इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक्टिव रहने वाली लड़कियों का कहना था कि उन्हें रात में नींद नहीं आती। बार-बार वाट्सऐप, इंस्टा और फेसबुक चेक करने का मन करता है। ये स्ट्रेस लड़कियों में इसलिए भी बढ़ता है, क्योंकि वो अक्सर ट्रोल या साइबर बुलिंग का शिकार होती हैं। वहीं लड़कों में मानसिक बीमारियों की संख्या थोड़ी कम है। हालांकि डिप्रेशन और नींद न आने की समस्या तो अब आम हो गई है और इनके सबसे बड़े कारणों में से एक सोशल मीडिया है। सोशल मीडिया की आभासी दुनिया ने लोगों को अपनी असली दुनिया से काफी अलग कर दिया है। इसलिए इसकी लत को कम करना आज बेहद जरूरी है।