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हॉन्ग कॉन्ग : यह है वो लड़का जिसने चीन को चुनौती दी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 14 2019 11:52AM | Updated Date: Aug 14 2019 11:52AM
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हॉन्ग कॉन्ग। हॉन्ग कॉन्ग का वो 23 वर्षीय दुबला पतला लड़का जिसने दुनिया के बाहुबली चीन को चुनौती दे डाली। जी हां.. हम बात कर रहे हैं जोशुआ वॉन्ग की। इस लड़के ने चीन की ताकत को ललकारा है। दरअसल, हॉन्ग कॉन्ग प्रशासन एक बिल लेकर आया था, जिसके मुताबिक वहां के प्रदर्शनकारियों को चीन लाकर मुकदमा चलाने की बात थी। बस फिर क्या था, वॉन्ग अपने समर्थकों के साथ सड़कों पर उतर गए। पिछले कई दिनों से हॉन्ग कॉन्ग की सड़कों पर लाखों लोग प्रदर्शन कर रहे हैं।
 
यह प्रदर्शन अब अपनी चरम सीमा तक पहुंच गया है। हॉन्ग कॉन्ग एयरपोर्ट पर उड़ानें कैंसल हो गई हैं। सोमवार को प्रदर्शनाकरियों ने हॉन्ग कॉन्ग के प्रमुख एयरपोर्ट पर भी कब्जा कर लिया। इस कारण वहां से एक भी विमान उड़ान नहीं भर पाया। एयर इंडिया ने भी हॉन्ग कॉन्ग के अपने सारे फ्लाइट्स कैंसल कर दिए। खास बात यह है कि हॉन्ग कॉन्ग में चीन के खिलाफ जारी जोरदार प्रदर्शन की अगुवाई वहां की युवा आबादी कर रही है।
 
युवा प्रदर्शनकारियों की फौज ने महशाक्तिशाली चीन की नाक में दम कर रखा है। मजेदार बात यह है कि इन प्रदर्शनकारियों के नेता महज 23 वर्ष की उम्र के जोशुआ वॉन्ग ची-फंग हैं। इतना ही नहीं, उनकी पार्टी डोमेसिस्टो के ज्यादातर नेताओं की उम्र 20-25 वर्ष के आसपास ही है। डोमेसिस्टो की अग्रिम पंक्ति के नेताओं में एग्नेश चॉ 22 वर्ष जबकि नाथन लॉ 26 वर्ष के हैं।
 
हॉन्ग कॉन्ग के युवाओं में तब आक्रोश की लहर दौड़ गई जब हॉन्ग कॉन्ग के प्रदर्शनकारियों को चीन में लाकर मुकदमा चलाने का एक विधेयक लाया। हॉन्ग कॉन्ग के युवाओं को लगा कि चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी इस बिल के जरिए अपना दबदबा कायम करना चाहती है। दरअसल, हॉन्ग कॉन्ग चीन का हिस्सा होते हुए भी स्वतंत्र प्रशासनिक इकाई का दर्जा रखता है। हॉन्ग कॉन्ग चीन का विशेष प्रशासनिक क्षेत्र कहलाता है। हालांकि, जोरदार प्रदर्शन के मद्देनजर हॉन्ग कॉन्ग की सरकार ने विधेयक वापस ले लिया, लेकिन प्रदर्शन खत्म नहीं हुआ। प्रदर्शनकारी हॉन्ग कॉन्ग में अधिक लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली की मांग कर रहे हैं। 
 
जोशुआ वॉन्ग ची-फंग हॉन्ग कॉन्ग में लोकतंत्र स्थापित करने वाली पार्टी डेमोसिस्टो के महासचिव हैं। राजनीति में आने से पहले उन्होंने एक स्टूडेंट ग्रुप स्कॉलरिजम की स्थापना की थी। वॉन्ग साल 2014 में अपने देश में आंदोलन छेड़ने के कारण दुनिया की नजर में आए और अपने अंब्रेला मूवमेंट के कारण प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका टाइम ने उनका नाम वर्ष 2014 के सबसे प्रभावी किशोरों में शामिल किया। अगले साल 2015 में फॉर्च्युन मैगजीन ने उन्हें 'दुनिया के महानतम नेताओं' में शुमार किया। वॉन्ग की महज 22 वर्ष की उम्र में 2018 के नोबेल पीस प्राइज के लिए भी नामित हुए। वॉन्ग को उनके दो साथी कार्यकर्ताओं के साथ अगस्त 2017 में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। उन पर आरोप था कि साल 2014 में सिविक स्क्वैयर पर कब्जे में उनकी भूमिका रही थी। फिर जनवरी 2018 में भी उन्हें 2014 के विरोध प्रदर्शन के मामले में ही गिरफ्तार किया गया। 
 
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