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यहां लगता है भूतों का मेला, जमकर होती है पिटाई

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 20 2019 11:26AM | Updated Date: Jun 20 2019 11:27AM
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कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर हरिहर क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा भूतों का मेला लगता है। इस भूत मेले में एक रात में हजारों-लाखों लोग बुरी आत्माओं और भूतों को अपने ऊपर से भगाने के लिए पहुंचते हैं। कार्तिक पूर्णिमा की रात से शुरू दिनभर चलने वाले इस विशेष मेले में दूर-दराज के लाखों लोग पहुंचते हैं और रातभर भूत भगाने का अनुष्‍ठान चलता रहता है, स्थानीय भाषा में इसे भूत खेली कहते है।
 
कई किलोमीटर के क्षेत्र में फैले इस मेले में आपको दूर-दूर तक हर जगह एक से बढ़कर एक अनूठे भूत अनुष्ठान देखने को मिल जाएंगे। इस मेले में लाखों लोग बुरी आत्माओं से छुटकारे के लिए पहुंचते हैं। भूतों को पकड़ने और भगाने का दावा करने वाले ओझा भी इस मेले में बड़ी संख्या में आकर अपनी दुकान लगाते हैं।
 
यहां अजीबोगरीब दृश्य दिखता है। कहीं तो भूत भगाने के लिए महिलाओं को बालों से खींचा जाता है, तो कहीं छड़ी यानि स्थानीय भाषा में जिसे सन्टी कहते हैं, उनसे पिटाई की जाती है। भूतों के इस अजूबे मेले में आए ओझाओं के दावे भी आपको अजूबे लगेंगे। सबसे मजेदार बात ये होती है कि भूतों की भाषा सिर्फ ओझा और भगत समझते हैं।
 
इस मेले के बारे बारे में मान्यता है कि यहीं गज और ग्राह का युद्ध हुआ था और गज को बचाने के लिए भगवान विष्णु आये थे, पर रात्रि से ही भूतखेली का तमाशा होने लगता है। इस तमाशे को देखने के लिए भीड़ जुटी रहती है।
 
भूतों को भगाने वाले ओझा जो स्थानीय बोली में भगतजी कहे जाते हैं, अपने मुंह से ऊटपटांग शब्द निकालते रहते हैं। ऐसे शब्द जिनका कोई अर्थ नहीं होता, जिन्हें कोई दूसरा नहीं समझ पाता। ओझाओं का कहना है कि उनके मुंह से निकले यही उटपटांग शब्द मंत्र हैं जो भूतों को भगाने में कारगर होते हैं।
 
कोनहारा घाट पर वैशाली से पहुंचे भगत राजेश भगत और लक्ष्मी भगत ने बताया कि उन्हेंने अपने गुरु से भूतों को भगाने का गुर सीखा है। महुआ के कन्हौली पाता के मेहरचंद भगत और बेरई के शंकर भगत का भी यही कहना है।
 
यह भी कम हैरानी की बात नहीं कि कथित रूप से भूतों से परेशान जितनी महिलाएं कार्तिक पूर्णिमा के मौके हाजीपुर के कोनहारा घाट पर पहुंचती हैं, वे निम्न आय या निम्न मध्यम आय की श्रेणी के परिवारों से होती हैं जहाँ आज भी शिक्षा की घोर कमी है।
 
आमतौर इन घरों की महिलाओं को अगर कोई भी शारीरिक या मानसिक बीमारी होती है तो शिक्षा की कमी और अंधविश्वास के कारण उस बीमारी को भूतों या बुरी आत्माओं का असर मानने लगती हैं। और फ़िर यहीं से भगतों का खेल शुरू हो जाता है।
 
इस साल भी शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर हाजीपुर-सोनपुर में करीब 10 लाख श्रद्धालुओं ने गंगा और गंडक में डुबकी लगाई और हरिहरनाथ सहित विभिन्न मठ-मंदिरों में पूजा -अर्चना की। यहां गुरुवार की आधी रात से ही पवित्र स्नान शुरू हो गया है।
 
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