नई दिल्ली। आम चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए से करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की, जिसे समिति ने ठुकरा दिया। सूत्रों के मुताबिक इसके बावजूद राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर अड़े हैं। उन्होंने बैठक में कहा कि वे इस पद पर नहीं रहना चाहते। उन्होंने कहा कि कोई प्रियंका का भी नाम न ले।
वे इस पद पर गांधी-नेहरू परिवार से इतर किसी व्यक्ति को देखना चाहते हैं। राहुल ने कहा कि चुनावी हार मेरे लिए जिम्मेदारी और जवाबदेही की बात है, इसलिए मैं इस्तीफा दूंगा। सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ने इस मामले पर कहा है कि यह राहुल का अपना फैसला है। इस बात की संभावना कम है कि राहुल अपना मूड बदलेंगे। वहीं पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि राहुल से कहा गया कि वे पार्टी में जो चाहे बदलाव करें और अध्यक्ष पद पर बने रहें। हम जनादेश को विनम्रता से स्वीकार करते हैं।
बीजेपी के जाल में न फंसे-प्रियंका
राहुल के इस्तीफे की पेशकश कार्यसमिति की बैठक में ठुकारा दी गई और कांग्रेस नेताओं ने राहुल को समझाया। पार्टी नेताओं ने कहा कि पार्टी को पुन:गठित करें। इसके लिए योजना जल्द से जल्द लागू की जाए। लोकतंत्र में उनकी यह हार नंबरों की है, न कि विचारधारा की। प्रियंका गांधी ने कहा कि बीजेपी यही चाहती है, इसलिए राहुल को उनके जाल में नहीं फंसना चाहिए। इन सब मतों के बाद भी बताया जा रहा राहुल अध्यक्ष पद पर नहीं रहना चाहते हैं।
आप नहीं तो कौन
जब राहुल पार्टी मुख्यालय पहुंचे तब ही वे इस्तीफा देने की तैयारी कर रहे थे तब पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने राहुल से मुलाकात की और कहा कि वे इस्तीफा नहीं दें। मनमोहन ने राहुल से कहा कि आप नहीं तो कौन होगा अध्यक्ष। चुनाव में हार-जीत तो लगी रहती है। इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है। इसके बाद भी राहुल ने वर्किंग कमेटी की बैठक में इस्तीफे की पेशकश कर दी। इसके बाद सदस्यों ने कहा कि सिर्फ राहुल ने ही पीएम नरेंद्र मोदी को पिछले 5 साल में चुनौती दी है।
पहले बताया था अफवाह
राहुल के इस्तीफे की पेशकश की खबर को पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अफवाह करार दिया था। कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले तक इससे संबंधित सवाल पर नेता अंबिका सोनी ने कहा कि उन्हें फिलहाल कुछ भी कहने से मना किया गया है।