नई दिल्ली। अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बुर रोस ने भारत में अमेरिकी वस्तुओं पर आयात शुल्क तर्कसंगत करने की मांग करते हुए मंगलवार को कहा कि दोनों देशों के आपसी आर्थिक, व्यापारिक और निवेश संबंधों में व्यापक संभावनाओं का दोहन करने की जरुरत है। रोस ने यहां भारत और अमेरिका के कारोबारियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक मजबूत एवं तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और ट्रंप प्रशासन के लिए एशिया- प्रशांत क्षेत्र में भारत एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इस क्षेत्र में भारत एक रणनीतिक साझेदार हैं। दोनों देशों के नेतृत्व दोनों देशों के संबंधों को नयी ऊंचाईयों तक ले जाने और इनमें संतुलन बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि तेजी से उभरती भारतीय अर्थव्यवस्था में अमेरिकी कंपनियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं और अपनी प्रौद्योगिकी और अनुभव का लाभ दे सकती हैं। लेकिन इन कंपनियों को कारोबार के लिए पारदर्शी और समान वातावरण उपलब्ध कराना होगा।
भारतीय बाजार में व्यापक पहुंच देनी होगी। उन्होने कहा कि व्यापारिक बाधाओं के कारण अमेरिका निर्यात के लिए भारत 13 वां सबसे बड़ा बाजार है जबकि भारत का 20 प्रतिशत निर्यात अमेरिका को होता है। उन्होने कहा कि यह असंतुलन है और इसे दूर किया जाना चाहिए। भारत को अमेरिकी वस्तुओं पर आयात शुल्क घटाने की जरुरत है और इन्हें तर्कसंगत एवं न्यायसंगत बनाया जाना चाहिए। उन्होने आंकड़ों के हवाले से कहा कि पिछले साल सेवा क्षेत्र में भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा तीन अरब डालर का रहा है। भारत शुल्क और गैर शुल्क व्यापार बाधायें हैं जिन्हें दूर किया जाना चाहिए। इनका विदेशी कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ता है। भारत में औसत आयात शुल्क 13.8 प्रतिशत है जो दुनिया में सर्वाधिक है। रोस ने डाटा भंडारण, डाटा सुरक्षा, कारोबार की बढ़ती लागत, चिकित्सा उपकरण और फार्मा उत्पादों पर मूल्य नियंत्रण, इलेक्ट्रोनिक एवं दूरसंचार उपकरण पर विभिन्न नियंत्रणों का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों देश व्यापारिक बाधाओं को दूर करने के लिए लगातार बातचीत कर रहे हैं और अमेरिका का मकसद अपनी कंपनियों के लिए व्यापार व्यवस्था सरल करना है।