नई दिल्ली। युद्ध क्षेत्र में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाली भारतीय सेना के तूणीर में अब एके-203 राइफल शामिल होने वाली है। यह राइफल जम्मू-कश्मीर में एंटी टेररिस्ट ऑपरेशन में शामिल जवानों को दी जाएगी। कार्बाइन रोल में एके-203 असॉल्ट राइफल का यह उन्नत संस्करण हैं। इसके साथ ही इसमें कुछ बदलाव किए जा रहे हैं, ताकि इसे मुश्किल हालात में छोटा करके कार्बाइन की तरह इस्तेमाल किया जा सके और कपड़ों में छिपाया जा सके। देश के सुरक्षाबलों को जल्द ही अत्याधुनिक असलहों की सप्लाई का काम शुरू कर दिया जाएगा।
भारत सरकार रूस के साथ मिलकर अब एके सीरीज की सबसे हाइटेक राइफल एके-203 का निर्माण शुरू कराएगी, जिसे भविष्य में भारतीय सेना को दिया जाएगा। एके-47 की तरह यह राइफल भी एक मिनट में 600 राउंड फायर करेगी। लेकिन इसकी मारक क्षमता 350 मीटर के बजाय 500 मीटर होगी। चीन समेत 30 देशों में बन रही इस राइफल की गिनती दुनिया के सबसे खतरनाक हथियारों में होती है। रिपोर्ट के अनुसार सेना के उच्च सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है कि, 'हम अपने जवानों को अब एके 203 राइफलों से लैस करने जा रहे है। अब हम आतंकवाद रोधी अभियानों के दौरान इस राइफल की बट को आसानी से हटा सकते हैं जिससे इसे कपड़ों के बीच में छिपा सकते हैं।
सेना में इस राइफल के इस्तेमाल के लिए इसमें कई और बदलाव किए जाएंगे। बता दें कि सेना और सुरक्षाबलों के आधिकारिक सूत्रों ने बताया था कि ‘एके-203 राइफल’ उस इंसास राइफल की जगह लेगी, जिसका इस्तेमाल थल सेना और अन्य बल कर रहे हैं। इस इकाई में 7,00,000 एके-203 राइफलें तैयार करने का शुरुआती लक्ष्य है। एके-203 राइफल एके-47 राइफलों का सबसे मॉडर्न वर्जन है। नई असॉल्ट राइफल भी एके-47 की तरह ऑटोमैटिक और सेमी ऑटोमैटिक दोनों सिस्टमों से लैस होगी।