नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले को लेकर देशभर में गुस्सा है। एक तरफ जहां देश में बदला लेने की आग भड़क रही है तो वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए कश्मीरी अलगाववादियों को मिली सुरक्षा पूरी तरह से छीन लेने का फैसला किया।
इन अलगाववादी नेताओं में मीरवाइज उमर फारूक, अब्दुल ग़नी भट्ट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी, शब्बीर शाह शामिल हैं। जानकारी के अनुसार इन अलगाववादियों को मुहैया कराई गई सुरक्षा और दूसरे वाहन सब वापस ले लिए जाएंगे। सरकार ने कहा है कि किसी भी अलगाववादी को कोई भी सुरक्षा मुहैया नहीं कराएंगे। अगर उन्हें सरकार की तरफ से कोई अन्य सुविधा दी गई है, तो वह भी तत्काल प्रभाव से वापस ले ली जाएगी।
अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर सरकार सालाना करीब 10 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। एक आरटीआई में यह बात सामने आई है कि इनकी सुरक्षा और सुविधाओं पर खर्च राज्य सरकार करती है। कश्मीर घाटी में एक अलगाववादी नेता पर 20 से लेकर 25 सुरक्षाकर्मी दिनरात अलर्ट रहते हैं। जिन अलगाववादियों को सुरक्षा कवच मिला हुआ है उनमें सज्जाद लोन, बिलाल लोन और उनकी बहन शबनम, आगा हसन, अब्दुल गनी बट्ट और मौलाना अब्बास अंसारी प्रमुख हैं। राज्य में 25 लोगों को जेड प्लस सुरक्षा है। इसके अलावा करीब 1200 लोगों के पास अलग-अलग श्रेणी की सुरक्षा है।