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मोदी सरकार राष्ट्रपति पद का राजनीतिकरण कर रही: मल्लिकार्जुन खड़गे

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 7 2019 3:33PM | Updated Date: Feb 7 2019 3:33PM
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नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्ष ने राष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद के राजनीतिकरण का सरकार पर आरोप लगाते हुए गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने संविधान और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति का अभिभाषण सरकार की कथित उपलब्धियों को पुलिंदा मात्र है। इस अभिभाषण में सरकार के साढ़े चार साल के कार्यकाल का लेखाजोखा पेश किया गया है, जो राष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद के राजनीतिक इस्तेमाल के समान है। उन्होंने अभिभाषण में मौजूदा सरकार के कामकाज की तुलना संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पूर्ववर्ती सरकारों के कामकाज से करने को अनुचित करार दिया।

उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जहां जाते हैं यह कहते फिरते हैं कि पिछले 60 साल में कांग्रेस ने क्या किया, तो हमने (कांग्रेस ने) देश को दूध दिया, विद्या दी, पानी दिया, सब कुछ दिया। खड़गे ने 1951 और 2014 के विकासात्मक आंकड़ों की तुलनात्मक व्याख्या करते हुए कहा कि 1951 में जहां देश की साक्षरता दर 16 प्रतिशत थी वहीं 2014 में यह बढ़कर 74 प्रतिशत तक पहुंच गई। आजादी के वक्त खाद्यान्न का उत्पादन जहां पांच करोड़ टन था, वहीं 2014 में यह 13 करोड़ 80 लाख टन हो गया।

तब दूध का उत्पादन एक करोड़ 70 लाख टन था, जो 2014 में बढ़कर 13 करोड़ 80 लाख टन पर पहुंच गया था। आजादी के बाद देश में 500 कॉलेज थे, जिसकी संख्या 2014 तक 37 हजार के पार पहुंच गई। उन्होंने नोटबंदी के दुष्परिणामों का उल्लेख करते हुए कहा कि पूर्ववर्ती मनमोहन सरकार के दौरान एक समय सकल घरेलू विकास दर 9.6 प्रतिशत थी, जबकि मोदी सरकार में यह औसतन 7.5 प्रतिशत रहा है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के कारण छोटे व्यापारियों और कारोबारियों पर बुरा प्रभाव पड़ा है। 

 
 
 
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