नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जीपीएस के देसी संस्करण ‘नाविक’ के लिए रूस, फ्रांस और जापान में अपने भू-केंद्र बनाएगा। इसरो के अध्यक्ष के. शिवन ने शुक्रवार को यहाँ संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कई अलग-अलग जगहों भू-केंद्र होने से नेविगेशन उपग्रहों के तारामंडल के जरिये जमीन पर किसी बिंदू की स्थिति की ज्यादा बेहतर गणना हो सकेगी। उन्होंने बताया कि भारत रूस, फ्रांस और जापान में भू-केंद्र बनाना चाहता है तथा इसके लिए उन देशों से बात चल रही है। ये भू-केंद्र हर जगह नहीं बनाये जा सकते। एक बड़ी जरूरत यह होती है कि वहाँ सिग्नल में किसी तरह का व्यवधान न हो।
डॉ. शिवन ने बताया कि भारत ने रूस और फ्रांस के साथ अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग पर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया है। यह एक वृहद सहमति पत्र है जिसके तहत सभी अंतरिक्ष क्षेत्र के सभी आयाम आ जाते हैं। उन्होंने बताया कि एक-दूसरे के यहां भू-केंद्र स्थापित करना आम बात है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि नाविक पहला नेविगेशन सिस्टम है जो गाँव से शहरों की ओर आयेगा। इससे पहले जीपीएस समेत सभी नेविगेशन सिस्टम शहरों से होकर गाँवों में पहुँचे थे। नाविक का इस्तेमाल फिलहाल सेना तथा तटीय इलाकों के मछुआरे कर रहे हैं। इसरो प्रमुख ने कहा कि जल्द ही यह देश में बिकने वाले मोबाइल फोन पर भी अनिवार्य रूप से उपलब्ध हो जायेगा और उसके बाद इसकी लोकप्रियता स्वत: बढ़ेगी।