संयुक्तराष्ट्र। महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र आयोग का कहना है कि प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व में पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता लगातार बिगड़ती जा रही है। आयोग का कहना है कि तहरीक-ए-इंसाफ सरकार द्वारा भेदभावपूर्ण कानून ने धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले करने के लिए चरमपंथी मानसिकता वाले लोगों को सशक्त बनाया है। दिसंबर में जारी हुई 47 पेज की रिपोर्ट में आयोग ने ईशानिंदा कानून के राजनीतिकरण व शस्त्रीकरण और अहमदिया विरोधी कानूनों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है।
जिसका उपयोग इस्लामी समूह न केवल धार्मिक अल्पसंख्यकों को सताने बल्कि राजनीतिक आधार हासिल करने के लिए भी किया जा रहा है। आयोग का कहना है कि इस्लामी राष्ट्र में विशेष रूप से ईसाई और हिंदू समुदाय खासतौर से महिलाएं और लड़कियां कमजोर हैं। हर साल हजारों को अगवा करके धर्मांतरण के बाद मुस्लिम व्यक्ति से शादी कराई जाती है। अगवा करने वालों की धमकियों के कारण पीड़िताओं के पास अपने परिवार के पास लौटने की बहुत कम या कोई भी उम्मीद नहीं रहती है।