नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के 1984 के सिख दंगों को लेकर दिये गये बयान से आज राजनीतिक भूचाल आ गया। सत्तापक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिंहराव के परिजनों ने इसकी कड़ी आलोचना की। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संसद भवन में संवाददाताओं से कहा कि डॉ. सिंह का कहना है कि 1984 में शांति जल्दी कायम हो सकती थी बशर्ते कि तत्कालीन गृह मंत्री पी वी नरसिंहराव सेना को जल्दी बुलवा लेते। उन्होंने कहा कि डॉ. सिंह जानते हैं कि सेना को गृह मंत्री नहीं बल्कि प्रधानमंत्री आदेश देकर बुलवाते हैं। अगर वे दिवंगत नरसिंहराव को बुरा व्यक्ति समझते हैं तो उनके मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री क्यों बने थे।
उन्होंने यह भी कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उलटा दंगों में सिखों के मारे जाने का परोक्ष समर्थन करते हुए कहा था कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है। उन्हें अपनी गलती माननी चाहिए। नरसिंह राव के पोते एनवी सुभाष ने गुरुवार को कहा कि नरसिंह राव के परिवार का हिस्सा होने की वजह से वह डॉक्टर मनमोहन सिंह के बयान से काफी दुखी हैं। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। क्या कोई गृह मंत्री बिना मंत्रिमंडल की मंजूरी के स्वतंत्र रूप से कोई फैसला ले सकता है। यदि सेना को बुला लिया जाता तो तबाही मच जाती। सोशल मीडिया पर भी इस मसले पर डॉ. मनमोहन सिंह की तीखी आलोचना हो रही है। लोगों का कहना है कि दस साल प्रधानमंत्री रहने के बाद भी डॉ. मनमोहन सिंह का कहना कि गृह मंत्री सेना बुला सकते हैं, हैरत की बात है। लोगों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को सिख दंगों के कलंक से बचाने की उनकी असफल कोशिश भी कहा है।