नई दिल्ली। देश का सबसे चर्चित और विवादित अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले फैसला सुनाना प्रारंभ कर दिया है। पहले फैसले में अयोध्या पर शिया वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज कर दी है। अयोध्या के करीब पांच सौ साल पुराने विवाद में 206 साल के बाद फैसले की घड़ी आ गयी है और इन बीते वर्षों की तारीखों और तवारीखों के आइने में उच्चतम न्यायालय आज इस पर अपना ऐतिहासिक फैसला रहा है। अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक को लेकर चल रहा विवाद करीब 500 साल पुराना था।
-केन्द्र सरकार ट्रस्ट बनाकर राममंदिर बनाएगी।
- सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के सुन्नी समाज को पांच एकड़ जमीन राज्य सरकार को उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं।
-सुन्नी समाज को वैकल्पिक जमीन उपलब्ध कराए।
-कोर्ट ने फैसले में कहा कि मुस्लिम पक्ष जमीन पर दावा साबित करने में नाकाम रहा है।
-सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि हिन्दुओं को चबूतरे पर पूजा करने से रोकने पर वे बाहर ही पूजा करने लग गए थे।
-कोर्ट ने ASI रिपोर्ट के आधार पर अपने फैसले में कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की भी पुख्ता जानकारी नहीं है।
-सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर माना है कि मस्जिद के नीचे जो खुदाई की गई थी वह इस्लामिक के अनुसार रचना नहीं थी। विवादित ढांचे में पुराने पत्थरों को प्रयोग किया गया।
-सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े सेवा करने के दावे को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसने छह साल बाद अपना दावा किया है। इसलिए इनका दावा खारिज कर दिया है।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह आस्था का मामला है। एक व्यक्ति दूसरे के हक को नहीं मार सकते हैं। एक व्यक्ति की आस्था दूसरा व्यक्ति नहीं छीन सकती है। यह जगह नूजल की है।