अजरबैजान। भारत ने बुधवार को गुट निरपेक्ष शिखर सम्मेलन और अन्य बहुस्तरीय संस्थाओं में बदलाव की जोरदार वकालत करते हुए कहा है कि मौजूदा प्रबंधों और काम करने के तरीकों में बदलाव किया जाना है। जयशंकर ने गुट निरपेक्ष आंदोलन की 18वीं बैठक में मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा,‘‘ बहुस्तरीय संगठन इस समय दबाव में हैं। और इसमें कोई संदेह नहीं है और पूरे विश्व की एक तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले हमारे आंदोलन को एक साथ मिलकर आगे ले जाने की जरूरत है और बहुस्तरीय शासन प्रणाली के ढांचे का निर्माण करने की अगुवाई करें ताकि किसी भी तरह की चुनौतियों से निपटा जा सके।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हमें मौजूदा प्रबंधों और अपने आंदोलन के काम काज के तरीके में बदलाव लाकर इनका पुनरुद्धार करना है ताकि हम एक सकारात्मक एजेंडे को आगे ले जा सकें। इसके साथ-साथ हमें उन प्रयासों से भी सावधान रहना होगा जो हमें बांटने की फिराक में हैं तथा निहित स्वार्थों के लिए बहुस्तरीय मंचों का दुरुपयोग करते हैं।’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘गुट निरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक नेताओं को बांडुंग में 1955 में जिन अड़चनों का सामना करना पड़ा था, अब विश्व उनसे आगे बढ़ चुका है और वैश्विक भू-राजनीतिक संतुलन का पैमाना अब काफी बदल चुका है तथा इसमें आगे भी यह बदलाव जारी रहेगा। इसके पीछे वैश्वीकरण और तकनीकी प्रगति की बदलावकारी ताकतें हैं।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘उपनिवेशवाद की विरासत और शीत युद्ध की विचारधारा में निहित दीर्घकालिक धारणाएं नये आकारों और साझेदारी का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।’’ मंत्री ने कहा,‘‘ एक लोकतांत्रिक, प्रभावी, लचीली, विश्वसनीय, पारदर्शी और प्रतिनिधि, बहुपक्षीय व्यवस्था-परिवर्तित बहुपक्षवाद 21 वीं सदी की अनिवार्यता है।’’ डॉ जयशंकर ने कहा,‘‘ हम पहले से कहीं अधिक परस्पर और निर्भर हैं। जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय गिरावट, आतंकवाद, कट्टरता, गरीबी, सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति, मानवीय और प्राकृतिक आपदायें, साइबर सुरक्षा खतरे और प्रौद्योगिकियों के गंभीर खतरे दुनिया के समक्ष कुछ चुनौतियां हैं।’’ उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू इस साल गुट निरपेक्ष शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।