नयी दिल्ली। कर्नाटक में सत्तारूढ कांग्रेस-जनता दल (सेक्यूलर) गठबंधन के बागी दस विधायक ने गुरुवार तेजी से बदलते घटनाक्रम के दौरान विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार से मुलाकात कर उन्हें फिर से अपना इस्तीफा सौंपा। इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने बागी विधायकों को आज शाम तक विधानसभा अध्यक्ष के सामने पेश होने और उनके इस्तीफे की पुष्टि करने का निर्देश दिया था। यदि इस्तीफा स्वीकार किए जाते है तो सत्तारूढ एच.डी. कुमारस्वामी की सरकार अल्पमत में आ जायेगी। न्यायालय ने विधानसभा अध्यक्ष को गुरुवार रात तक इस्तीफे के बारे में बताने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ शुक्रवार को मामले की अगली सुनवाई करेगी। शीर्ष अदालत ने इस्तीफे पर फैसला करने के लिए अध्यक्ष की ओर से निर्धारित मध्य रात्रि की समय सीमा को बढ़ाने के लिए के आवेदन पर तत्काल सुनवाई करने से इन्कार कर दिया। उनकी इस याचिका में अध्यक्ष ने इस्तीफे की जांच करने के लिए और समय देने के लिए उच्चतम न्यायालय से गुहार लगाई। जिससे यह तय किया जा सके कि ये इस्तीफे जोर जबर्दस्ती दिये गये या स्वैच्छिक रूप से।
बागी विधायकों ने शीर्ष अदालत से गुहार लगाई थी कि रमेश कुमार कांग्रेस-जद (एस) सरकार को बचाने के लिए उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं कर रहे है। सांसदों को प्रतिनिधत्व करते हुए पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने विधानसभा अध्यक्ष पर पक्षपातपूर्ण राजनीति का आरोप लगाया। कांग्रेस-जद (एस) के विधायकों के इस्तीफे के मामले ने 13 महीने पुरानी कुमारस्वामी सरकार को अल्पमत में ला खड़ा किया है। कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने श्री रमेश कुमार को संविधान के दसवीं अनुसूची के तहत अपने आठ बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की है। इससे पहले कांग्रेस ने केवल दो विधायकों रमेश जरकिहोली और महेश कुमातल्ली को अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर की थी। जनता दल (एस) ने विधानसभा अध्यक्ष को उसके तीन बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दी थी।
कुमारस्वामी की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल ने इस्तीफे से उत्पन्न स्थिति का जायजा लेने के लिए आज बैठक की। उन्होंने कहा उन्हें विश्वास है कि उनकी सरकार बच जाएगी। मंत्रिमंडल ने कहा कि अगर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी यह चाहती है तो गठबंधन अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए तैयार है। संसद भवन परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास नारेबाजी करते हुए सोनिया गांधी, राहुल गांधी और आनंद शर्मा सहित कांग्रेस के कई शीर्ष नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सांसदों ने संसद भवन में विरोध प्रदर्शन करते हुए भाजपा पर आरोप लगाया कि कर्नाटक और गोवा का राजनीतिक संकट लोकतंत्र के लिए खतरा है।