नई दिल्ली। बीते शुक्रवार को 7 रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार वापस भेजा गया, लेकिन दिल्ली के कालिंदी कुंज इलाके में रह रहे 235 रोहिंग्या शरणार्थी म्यांमार नहीं जाना चाहते। उन्हें डर है कि उन्हें मार दिया जाएगा। इन शरणार्थियों का कहना है कि वे तब तक म्यांमार लौटना नहीं चाहते जब तक कि वहा शांति बहाल नहीं हो जाती।
एक रोहिंग्या शरणार्थी मोहम्मद फारूक ने कहा, 'मैं यहां साल 2012 से रह रहा हूं। मेरी केंद्र सरकार से यही गुजारिश है कि हमें यहीं रहने दें। अपने देश में हमने बहुत मुश्किलें झेली हैं, बहुत अत्याचार सहे हैं। हमने किसी लालच में अपना देश नहीं छोड़ा था। कोई अपना देश नहीं छोड़ना चाहता।' फारूक ने आगे कहा कि हाल में जिन लोगों को म्यांमार वापस भेजा गया है, जल्द ही उन्हें मार दिया जाएगा।
एक अन्य शरणार्थी हारून ने कहा, हम यहां साल 2005 से रह रहे हैं लेकिन सरकार ने हमें लॉन्ग-टर्म वीजा के अलावा कोई मदद नहीं दी है। साल 2012 से उसे भी रिन्यू नहीं किया जा रहा। बता दें कि अगस्त 2017 में 6,50,000 रोहिंग्या मुसलमानों को रखाइन से भागना पड़ा था। उस वक्त म्यांमार की सेना ने दक्षिणी इलाके में रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ अभियान चलाया था। इसमें उनके घरों को जलाया गया था और कई लोगों को मार दिया गया था।