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रोहिंग्याओं को वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू, ले जाया जा रहा म्यांमार बॉर्डर

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 4 2018 10:13AM | Updated Date: Oct 4 2018 10:13AM
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नई दिल्ली। रोहिंग्या शरणार्थियों को उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गयी है। इस विवाद के बीच आज भारत सरकार पहली बार देश में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं को म्यांमार वापस भेज रही है। इस पहली किस्त में 7 लोगों को वापस भेजा जा रहा है। हालांकि, इसी मुद्दे पर आज ही सुप्रीम कोर्ट लेकिन सरकार इस मामले में सख्त दिख रही है। आपको बता दें कि रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा पिछले कुछ समय से भारतीय राजनीति के केंद्र आ गया है। 
 
वीरवार सुबह सभी सातों रोहिंग्याओं को इम्फाल से मणिपुर की मोरेह सीमा पर ले जाया जाया गया, जहां से इन्हें उनके देश, म्यांमार भेज दिया जाएगा। दरअसल, सातों रोहिंग्या असम के सिलचर स्थित हिरासत केन्द्र में बंद थे। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक गुरुवार को मणिपुर की मोरेह सीमा चौकी पर 7 रोहिंग्या प्रवासियों को म्यांमार के अधिकारियों को सौंपा जाना है।
 
इधर इसी से संबंधित याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह आवेदन पर विचार करने के बाद ही इस मामले की तुरंत सुनवाई पर फैसला देगी। आज इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी होनी है। 
 
गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने अपने कामकाज के पहले दिन बुधवार को वकीलों के समक्ष स्पष्ट किया कि वह ऐसे मामलों में मानदंड तय होने तक तुरंत सुनवाई की अनुमति नहीं देगी। पीठ में न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ भी शामिल हैं। अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ को बताया कि इन रोहिंग्या लोगों को स्वदेश वापस भेजा जा रहा है, अत: इस मामले की तुरंत सुनवाई जरूरी है।
 
पीठ ने कहा, तुरंत सुनवाई के लिए किसी मामले का उल्लेख नहीं है और हम मानदंड तय करेंगे फिर देखेंगे कि मामलों का उल्लेख किस प्रकार होगा. पीठ ने कहा कि मौत की सजा की तामील और बेदखली के मामलों की ही तुरंत सुनवाई हो सकती है। शुरुआत में पीठ ने भूषण से कहा कि वह याचिका दायर करें। भूषण के इस जवाब पर कि अर्जी दी जा चुकी है, पीठ ने कहा कि हम इस पर विचार करेंगे और फिर फैसला लेंगे। असम में अवैध तरीके से रह रहे सात रोहिंग्या को म्यामार वापस भेजने के केन्द्र के फैसले को चुनौती देते हुए नई याचिका दायर की गई है। इन लोगों को गुरुवार को म्यांमार वापस भेजा जाना है। 
 
दरअसल, पड़ोसी देश म्यांमार में अराजकता के आरण रोहिंग्या वहां से पलायन किए थे। ये मूलरूप से बांग्लादेशी हैं और किसी समय ये म्यांमार में जाकर बस गए थे। ये फिलहाल म्यांमार के नागरिक ही हैं। म्यांमार में बौद्ध-रोहिंग्या विवाद के बढ़ जाने के कारण वहां हिंसा हुई और म्यांमार की सेना ने भी रोहिंग्याओं के खिलाफ कार्रवाई की। इसके कारण कुछ रोहिंग्या भारत में भी आ गए। भारत सरकार ने इन्हें जम्मू-कश्मीर में शरणार्थी की तरह बसने का आदेश भी दे दिया है। 
 
इसके बाद और रोहिंग्या भारत आने लगे। इस बीच भारत में यह विवाद का विषय बनने लगा। अब रोहिंग्याओं पर सरकार सरकार की स्पष्ट नीति है कि जो पहले आ गए हैं उन्हें भी देश से जाना होगा और नए रोहिंग्याओं को देश में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। इस मामले में गृहमंत्रालय ने सीम बल को सतर्क कर दिया है। लगभग 40 हजार रोहंग्यिा जम्मू-कश्मीर में अभी भी हैं। 
 
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