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सात रोहिंग्या को वापस भेजेगा भारत, संयुक्त राष्ट्र ने जताई आपत्ति

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 4 2018 9:55AM | Updated Date: Oct 4 2018 9:55AM
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नई दिल्ली। भारत असम में गैरकानूनी तरीके से रह रहे सात रोहिंग्या प्रवासियों को गुरुवार को म्यांमार वापस भेजेगा। अधिकारियों ने बताया कि ऐसा पहली बार है जब भारत से रोहिंग्या प्रवासियों को म्यामारं वापस भेजा जा रहा है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसपर अपनी आपत्ति जताई है। नस्लवाद पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने कहा है कि अगर भारत ऐसा करता है तो यह उसके अंतरराष्ट्रीय कानूनी दायित्व से मुकरने जैसा होगा।  
 
गृह मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि मणिपुर स्थित मोरेह सीमा चौकी पर सात रोहिंग्या प्रवासियों को गुरुवार को म्यांमार के अधिकारियों को सौंपा जाएगा। ये अवैध प्रवासी वर्ष 2012 में पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद से ही असम के सिलचर स्थित हिरासत केंद्र में रह रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि म्यांमार राजनियकों को काउंसलर पहुंच प्रदान की गई थी, जिन्होंने प्रवासियों की पहचान की।
 
अन्य अधिकारी ने बताया कि पड़ोसी देश की सरकार के गैरकानूनी प्रवासियों के पते की रखाइन राज्य में पुष्टि करने के बाद इनकी म्यांमार नागरिकता की पुष्टि हुई है। भारत सरकार ने पिछले साल संसद को बताया था कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर में पंजीकृत 14,000 से अधिक रोहिंग्या लोग भारत में रहते हैं। हालांकि मदद प्रदान करने वाली एजेंसियों ने देश में रहने वाले रोहिंग्या लोगों की संख्या करीब 40,000 बताई है। 
 
रखाइन राज्य में म्यांमार सेना के कथित अभियान के बाद रोहिंग्या लोग अपनी जान बचाने के लिए अपने घर छोड़कर भागे थे। संयुक्त राष्ट्र रोहिंग्या समुदाय को सबसे अधिक दमित अल्पसंख्यक बताता है। मानवाधिकार समूह ह्यएमनेस्टी इंटरनैशनलह्ण ने रोहिंग्या लोगों की दुर्दशा लिए आंग सान सू ची और उनकी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
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