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सुप्रीम कोर्ट का आदेश: 'जजों की रिपोर्ट पीआईएल की तरह देखी जाए'

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 24 2018 10:05AM | Updated Date: Aug 24 2018 10:05AM
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नई दिल्ली। धार्मिक स्थलों और चैरिटेबल संस्थानों की सफाई, रख-रखाव, संपत्ति और अकाउंट्स के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है। कोर्ट ने जिला न्यायालयों को इनसे संबंधित शिकायतों की जांच करने और इनकी रिपोर्ट हाई कोर्ट में सौंपने का आदेश दिया है। सर्वोच्च अदालत ने इन्हें पीआईएल मानने का भी आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश सभी मंदिरों, मस्जिद, चर्च और दूसरे धार्मिक चैरिटेबल संस्थाओं पर लागू होगा।
 
जिला जजों की रिपोर्ट को पीआईएल की तरह ही माना जाएगा, जिनके आधार पर हाई कोर्ट उचित फैसला ले सकेंगे। जस्टिस आदर्श गोयल (सेवानिवृत हो चुके हैं अब) और जस्टिस अब्दुल नजीर ने पिछले महीने ही यह महत्वपूर्ण आदेश दिया था। बेंच ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा, 'धार्मिक स्थलों पर आनेवाले लोगों की समस्याओं को देखते हुए, मैनेजमेंट में कमी, साफ-सफाई, संपत्ति की रखवाली और दान या चढ़ावे की रकम का सही प्रकार से प्रयोग ऐसे मुद्दे हैं जिन पर सिर्फ राज्य या केंद्र सरकार को ही नहीं सोचना है।
 
यह कोर्ट के लिए भी विचार करने योग्य मुद्दा है।'  कोर्ट ने स्वत: संज्ञान भारत में मौजूद धार्मिक स्थलों की संख्या के आधार पर लिया। देश में इस वक्त 20 लाख से अधिक मंदिर, तीन लाख मस्जिद और हजारों चर्च हैं। हालांकि, इस आदेश के बाद यह स्पष्ट है कि न्यायपालिका पर अतिरिक्त दबाव बढ़नेवाला है। इस वक्त देश में 3 करोड़ के करीब पेंडिंग केस हैं और हाई कोर्ट और जिला अदालतों में बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं। एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम ने कोर्ट को जानकारी दी है कि सिर्फ तमिलनाडु में ही 7000 से अधिक प्राचीन मंदिर हैं। 
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