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कश्मीर में हिज्बुल- जैश ने मुठभेड़ में बच्चों को बनाया ढाल

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 29 2018 9:41AM | Updated Date: Jun 29 2018 9:41AM
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नई दिल्‍ली। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि पाकिस्तान के प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन मुठभेड़ के दौरान बच्चों को ढाल के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इन आतंकी संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के दौरान बच्चों की भर्ती की और उनका इस्तेमाल किया। चिल्ड्रन ऐंड आर्म्ड कॉन्फ्लिक्ट पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले साल विश्व भर में हुए संघर्षों में 10,000 से ज्यादा बच्चे मारे गए या विकलांगता का शिकार हुए जबकि 8,000 से ज्यादा की लड़ाकुओं के तौर पर भर्ती की गई या उनका इस्तेमाल किया गया।
 
इस रिपोर्ट में जनवरी 2017 से दिसंबर 2017 की अवधि शामिल की गई है। साथ ही इसमें युद्ध से प्रभावित सीरिया, अफगानिस्तान और यमन के साथ-साथ भारत, फिलिपीन और नाइजीरिया समेत 20 देशों को शामिल किया गया। भारत की स्थिति के बारे में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में बढ़े तनाव के दौरान और छत्तीसगढ़, झारखंड में सशस्त्र संगठनों और सरकारी बलों के बीच होने वाली हिंसक घटनाओं में बच्चों का प्रभावित होना नहीं रुक रहा है। इन्हें बाल अधिकारों का घोर उल्लंघन बताते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के दौरान 2 आतंकवादी संगठनों द्वारा बच्चों की भर्ती और उनके इस्तेमाल की 3 घटनाएं सामने आईं। रिपोर्ट में बताया गया, इनमें से एक मामला जैश-ए- मोहम्मद और दो मामले हिजबुल मुजाहिद्दीन के हैं।
 
साथ ही इसमें यह भी कहा गया है कि असत्यापित रिपोर्टों में सुरक्षा बलों द्वारा भी बच्चों को मुखबिर या जासूसों के तौर पर इस्तेमाल करने के संकेत मिलते हैं। वठ ने कहा कि नक्सलियों द्वारा खासकर छत्तीसगढ़ और झारखंड में बच्चों की भर्ती और उनके इस्तेमाल के बारे में उसे लगातार खबर मिल रही है। उसने कहा, खबरों के मुताबिक झारखंड में नक्सलियों द्वारा बच्चों की जबरन भर्ती के लिए लॉटरी प्रक्रिया अपनाने का काम जारी है। साथ ही वठ ने कहा कि सशस्त्र समूहों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई में बच्चों की मौत की घटनाएं रुक नहीं रही हैं। गुतारेस ने बच्चों को भर्ती करने वालों को पकड़ने के लिए भारत की सरकार से कदम उठाने को कहा। रिपोर्ट में कहा गया, जम्मू-कश्मीर में तनाव बढ़ने के दौरान स्कूलों को कुछ समय के लिए बंद रखा जाता है।
 

 

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