नई दिल्ली/श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में भाजपा के पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से नाता तोड़ने के साथ ही महबूबा मुफ्ती सरकार गिर गई है और राज्य में राज्यपाल शासन लगाने के आसार बन गए हैं। वजह यह है कि सभी दलों ने गठबंधन से इनकार कर दिया है। दरअसल महबूबा को राज्यपाल एनएन वोहरा ने फोन कर कहा कि आपका गठबंधन टूट गया है।
इसके बाद भाजपा के महासचिव और जम्मू-कश्मीर के प्रभारी राम माधव ने दिल्ली में गठबंधन तोड़ने की घोषणा करते हुए कहा कि राज्य की जो स्थिति है उसमें पीडीपी के साथ आगे गठबंधन जारी रखना संभव नहीं है। उनकी घोषणा के तुरंत बाद महबूबा मुफ्ती ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और साफ किया कि उनकी पार्टी किसी भी दल के साथ मिल कर सरकार नहीं बनाएगी।
राज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेजी रिपोर्ट
महबूबा सरकार गिरने के बाद बाद राज्य में नए राजनीतिक गठजोड़ को लेकर कयास लगने शुरू हो गए थे लेकिन कांग्रेस तथा नेशनल कांफ्रेंस ने भी साफ कर दिया कि वे किसी दल के साथ मिलकर सरकार बनाने नहीं जा रहे हैं। इस स्थिति में राज्य में राज्यपाल शासन लगाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह गया है । राज्य में उत्पन्न स्थितिके मद्देनजर गृह मंत्रालय में बैठकों का दौर शुरु हो गया। राज्यपाल ने भी अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेज दी है।
भाजपा ने बताए दो कारण एक
1. माधव ने कहा कि घाटी में आतंकवाद, कट्टरपंथ, हिंसा बढ़ रही है। ऐसे माहौल में सरकार में रहना मुश्किल था। रमजान के दौरान केंद्र ने शांति के मकसद से आॅपरेशंस रुकवाए,लेकिन बदले में शांति नहीं मिली।
2. जम्मू और कश्मीर क्षेत्र के बीच सरकार के भेदभाव के कारण भी हम गठबंधन में नहीं रह सकते थे।
ये हैं असली कारण
- रमजान के दौरान सुरक्षाबल आतंकियों के खिलाफ आॅपरेशन रोक दें, इसे लेकर भाजपा-पीडीपी में मतभेद थे। महबूबा के दबाव में केंद्र ने सीजफायर तो किया लेकिन इस दौरान घाटी में 66 आतंकी हमले हुए, पिछले महीने से 48 ज्यादा। आॅपरेशन आॅलआउट को लेकर भी भाजपा-पीडीपी में मतभेद था।
- पीडीपी चाहती थी कि केंद्र सरकार हुर्रियत समेत सभी अलगाववादियों से बातचीत करे, लेकिन भाजपा इसके पक्ष में
नहीं थी।