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दबंग स्‍पेशल - क्या नीरव मोदी और विजय माल्या को ला पाएंगे मोदी?

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 14 2018 3:13PM | Updated Date: Jun 14 2018 3:30PM
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- उन्मेष गुजराथी  
मुंबई। पीएनबी से 13 हजार करोड़ लेकर फरार भगोड़े नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटिश सरकार सहयोग करने को तैयार है, लेकिन सवाल यह है कि क्या मोदी सरकार इसके लिए तैयार है? गौरतलब है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू का कहना है कि ब्रिटिश अधिकारियों ने इस सिलसिले में भारत को सहयोग का भरोसा दिलाया है, लेकिन कई बड़े बैंक घोटालेबाजों पर कड़ी कार्रवाई करने में असमर्थ भाजपा सरकार की इच्छाशक्ति बेहद कमजोर लग रही है। जितने आरोपी फरार हुए हैं, उससे ज्यादा घोटालेबाज आरोपी रफूचक्कर होने के फिराक में हैं, लेकिन मोदी सरकार मुंह फेरे बैठी है।
 
मोदी सरकार यदि 'नीरव मोदियों' के प्रत्यर्पण को लेकर सतर्क होती, तो उसने अन्य सभी घोटालेबाजों की तुरंत गिरफ्तारी कर उनकी निजी संपत्ति को जब्त करने जैसी ठोस कार्रवाई करती। ज्ञात हो कि मोदी सरकार की ओर से लाए गए भगोड़े आर्थिक अपराधी अध्यादेश- 2018 भी बिना संशोधन के काफी कमजोर है जिससे किसी भगोड़े का बाल भी बांका नहीं हो पा रहा है।
 
वर्षा सत्पालकर है फरार 
मैत्रेय की सर्वेसर्वा वर्षा सत्पालकर ने अवैध रूप से करोड़ों रुपए जमा किए, लेकिन सरकार चुप रही। उसके खिलाफ ठाणे पुलिस ने लुकआउट नोटिस भी जारी किया था, लेकिन वह आज भी फरार है और सरकार उसे गिरफ्तार नहीं कर पाई है।

बिटकॉइन का अवैध खेल 
बिटकॉइन का अवैध खेल भी मोदी सरकार नहीं रोक पा रही है। गौरतलब है कि क्रिप्टो (वर्चुअल) करेंसी बिटकॉइन के माध्यम करोड़ों के काले धन का खेल जारी है, लेकिन मोदी सरकार इसे रोेकने में पूरी तरह नाकाम है। 
 
अनिल अंबानी को दी राहत
सरकार ने अनिल अंबानी को राहत देकर भी अपनी मंशा जाहिर कर दी है। गौरतलब है कि विजया बैंक ने अनिल अंबानी समूह के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग के 9000 करोड़ लोन (कर्ज) को मार्च तिमाही से गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) घोषित किया है। इसे कानूनी दायरे में रहते हुए लोन माफ करने की चाल माना जा रहा है। इससे सरकार की कमजोर इच्छाशक्ति का पता चलता है।
 
चंदा कोचर की गिरफ्तारी क्यों नहीं?
बड़े घोटाले में फंसी आईसीआईसीआई बैंक की चीफ एग्जिक्यूटिव चंदा कोचर, दीपक कोचर की अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई, इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं। माना जा रहा है कि चंदा कोचर पर मोदी सरकार पूरी तरह मेहरबान है। गौरतलब है कि आईसीआईसीआई बैंक की ओर से वेणुगोपाल धूत के वीडियोकॉन ग्रुप को दिए 3,250 करोड़ रुपए के लोन को लेकर गंभीर घोटाले के आरोप सामने आए हैं। इतना गंभीर घोटाला सामने आने के बाद भी सरकार चंदा कोचर की गिरफ्तारी को लेकर सरकार मौन है।
 
यह है बड़ा रोड़ा
नीरव मोदी और विजय माल्या को वापस लाने में जो सबसे बड़ा रोड़ा है, वह है ब्रिटेन से प्रत्यर्पण संधि का रुका हुआ मामला। ज्ञात हो कि भारत और ब्रिटेन के बीच वर्षों पुराने संबंध होने के बावजूद प्रत्यर्पण संधि 1992 में हुई थी, लेकिन उसका भी लाभ उठा पाना टेढी खीर है। जानकारी के अनुसार 2016 में दोनों देशों के बीच अवैध भारतीय प्रवासियों को लेकर एक एमओयू पर साइन होने थे, लेकिन तकनीकी कारणों से यह संभव नहीं हुआ। 
 
समझौते पर नहीं हुआ था हस्ताक्षर
नरेंद्र मोदी के पिछले ब्रिटेन दौरे के समय प्रत्यर्पण के मुद्दे पर बात हुई थी, लेकिन किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हो पाया था। सूत्रों के अनुसार इस समझौते की कुछ बातों पर भारत सरकार तैयार नहीं है। ज्ञात हो कि ऐसे मामलों में यदि किसी व्यक्ति के डॉक्यूमेंट पूरे नहीं हैं, तो भारतीय एजेंसियों को 72 दिनों में जांच पूरी करनी होगी और कागज पूरे हैं, तो 15 दिन में जांच को पूरा करना जरूरी होगा। हर साल कई भारतीयों को वापस भेजा जाता है, लेकिन एमओयू साइन होने के बाद ये संख्या काफी बड़ी हो सकती है।
 
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