नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को अपने बहुप्रतिक्षित भाषण में राष्ट्रवाद पर एक लंबा आख्यान दिया। प्रणब ने संबोधन की शुरुआत में ही स्पष्ट कर दिया कि वे देश, राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर बात करने आए हैं। प्रणब ने कहा कि राष्ट्रवाद किसी धर्म या भाषा में नहीं बंटा है। वे संघ के शिक्षावर्ग में 26 मिनट बोले। उन्होंने स्वयंसेवकों से कहा कि आप अनुशासित हैं, ट्रेंड हैं। आपको शांति और सौहार्द के लिए काम करना चाहिए।
पूर्व राष्ट्रपति अपने भाषण में भारतीय राज्य को प्राचीन महाजनपदों, मौर्य, गुप्त, मुगल और ब्रिटिश शासन से होते हुए आजाद भारत तक लेकर आए। उन्होंने अपने भाषण में तिलक, टैगोर, गांधी, नेहरू समेत अन्य विद्वानों को कोट करते हुए राष्ट्रवाद और देश पर अपनी राय रखी। प्रणब ने कहा कि धर्म, मतभेद और असिहष्णुता से भारत को परिभाषित करने का हर प्रयास देश को कमजोर बनाएगा। उन्होंने कहा कि असहिष्णुता भारतीय पहचान को कमजोर बनाएगी।
इसे हम भारत कहते हैं
प्रणब ने टैगोर की पंक्तियों को दोहराते हुए कहा कि मानवता की न जाने कितनी धाराएं पूरे विश्व से आईं और उस महासागर में समा गईं जिसे हम भारत कहते हैं। उन्होंने कहा कि एक बात याद रखनी चाहिए कि 2500 साल तक लगातार शासन बदलते रहे लेकिन हमारी सभ्यता बची रही।
राष्ट्रवाद आक्रामक और विध्वंसक नहीं होना चाहिए
- प्रणब बोले सरकार लोगों की है, लोगों के लिए होनी चाहिए।
- भेदभाव और हिंसा सबसे बड़ा खतरा।
- गांधीजी ने कहा था कि राष्ट्रवाद, आक्रामक और विध्वंसक नहीं होना चाहिए।
- अशोक ने विश्व विजेता होने के बाद भी उदारता नहीं छोड़ी।
- राष्ट्रवाद किसी धर्म, जाति या भाषा से बंधा नहीं है।
- हम सहमत हों या असहमत, लेकिन संवाद जरूरी है।
डेमोक्रेटिक है संघ-भागवत
इस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गुलदस्ता देकर प्रणब मुखर्जी को सम्मानित किया। उन्होने अपने भाषण में प्रणब के आने के बारे में स्पष्ट किया कि हम हर साल सज्जनों को आमंत्रित करते हैं, जिनको आना होता है, वो हमारा आमंत्रण स्वीकार करते हैं और आते हैं। संघ डेमोक्रेटिक माइंड वाला संगठन है। उन्होंने कहा कि भाषण के बाद प्रणब मुखर्जी वहीं बने रहेंगे, जहां वे हैं और संघ भी वहीं बना रहेगा, जहां वह है। संघ के लिए कोई भी व्यक्ति बाहरी नहीं है। सबके अलग-अलग विचार हो सकते हैं।
भारत मां के महान सपूत थे डॉ. हेडगेवार
आरएसएस के संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे प्रणव ने अपने संबोधन से पहले आरएसएस संस्थापक डॉ हेडगेवार को 'भारत मां का सच्चा सपूत' बताया। गुरुवार को डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के जन्मस्थान पहुंचे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विजिटर बुक में लिखा- आज मैं यहां भारत माता के एक महान सपूत के प्रति अपना सम्मान जाहिर करने और श्रद्धांजलि देने आया हूं। इससे पहले बुधवार को स्वयंसेवकों ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया, लेकिन कोई कांग्रेसी उनसे मिलने नहीं पहुंचा। जुलाई 2014 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने भी नागपुर जाकर हेडगेवार को श्रद्धांजलि दी थी। प्रणब ऐसा करने वाले दूसरे पूर्व राष्ट्रपति हैं।
कांग्रेस और भाजपा ने बताया एक-दूसरे को नसीहत
प्रणब के भाषण को कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों एक-दूसरे के लिए नसीहत बता रही हैं। कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने मोदी सरकार को राजधर्म की याद दिलाई। उन्होंने आरएसएस हेडक्वाटर में इस देश की खूबसूरती को बताया। प्रणब मुखर्जी ने पीएम मोदी को बताया कि राष्ट्रवाद क्या है। भाजपा के सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि प्रणब ने अपने भाषण की शुरुआत ही भारत को पहला राष्ट्र बताते हुए की। यही तो हमारा विचार है।