नई दिल्ली। ज्यादातर भारतीय दंपती दो साल से कम उम्र के बच्चे को गोद लेना चाहते हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2017-18 में गोद लिए गए 80 फीसद बच्चों की उम्र दो साल से कम थी। केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2017-18 में गोद लिए गए 2,537 बच्चों की उम्र दो वर्ष से कम थी, जबकि दो वर्ष से अधिक उम्र के केवल 597 बच्चों को गोद लिया गया था।
अब समस्या यह है कि जिस उम्र के बच्चों को अधिकांश दंपती गोद लेना चाहते हैं उस उम्र के बच्चे गोद के लिए कानूनी रूप से मुक्त नहीं हैं। कारा के सीईओ सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक कुमार ने बताया, कारा के पास करीब 20,000 परिवारों ने बच्चा गोद लेने के लिए आवेदन दे रखा है लेकिन वह जिस आयुवर्ग के बच्चे चाहते हैं, वह हमारे पास नहीं हैं।" चाइल्ड अडॉप्श्न रिसोर्स इंफार्मेशन एंड गाइडेंस सिस्टम (केयरिंग्स) के मुताबिक गोद लेने के इच्छुक हर नौ दंपती के लिएं केवल एक ही बच्चा उपलब्ध है।
गोद न लिए जा सके बच्चों को भेजा जाता है फोस्टर केयर
कारा के साथ 8,000 से अधिक बाल देखभाल संस्थान पंजीकृत हैं जिनके 90 फीसदी बच्चों की उम्र पांच से छह साल के बीच की है। इस उम्र के बच्चों को गोद लेने वाले लोगों की संख्या भारत में कम है। ऐसे में इन बच्चों को पालन-पोषण के लिए किसी परिवार में भेजा जाता है जिसका खर्च या तो सरकार या सामाजिक संस्थाएं वहन करती हैं। इसे फोस्टर केयर कहते हैं।
कुमार ने बताया, भारत में फोस्टर केयर का भी गलत इस्तेमाल होने लगा है। इसके लिए भी दंपती कम उम्र के बच्चों को ही प्राथमिकता देते हैं। कई लोग फोस्टर केयर को गोद लेने के शार्ट-कट तरीके की तरह इस्तेमाल करने लगे हैं। वह पहले बच्चों को कुछ साल अपने पास रखते हैं फिर उन्हें गोद लेने का आवेदन कर देते हैं।
बड़े बच्चे भी गोद लेना चाहते हैं गैर भारतीय
दूसरे देशों से भारत में बच्चा गोद लेने आए दंपती बड़े बच्चों को भी गोद लेते हैं। 2017-18 में दूसरे देशों में गोद दिए गए 718 बच्चों में से 389 की उम्र दो वर्ष से अधिक थी। कुमार ने बताया कि इसके दो कारण हैं। पहला यह कि जिन बच्चों को भारत में घर नहीं मिल पाता केवल उन्हें ही अन्य देश में गोद देने के लिए रखा जाता है। दूसरा वहां की सरकारें गोद लिए गए बच्चों की अधिक मदद करती हैं।