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अथॉरिटी का गठन नहीं, खतरे में पड़ सकती है बेनामी संपत्तियों की कुर्की

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 4 2018 9:41AM | Updated Date: Jun 4 2018 9:41AM
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नई दिल्ली। सरकार बेनामी संपत्तियों के मामलों के निपटान के लिए नया कानून बनाने के डेढ़ साल बाद अभी इन मामलों की सुनवाई के लिए जरूरी जुडिशल अथॉरिटी का गठन ही नहीं कर पाई है। इससे करोड़ों रुपए मूल्य की 780 से अधिक संपत्तियों की कुर्की की कार्रवाई की वैधता आने वाले दिनों में खतरे में पड़ सकती है। 
 
नोटबंदी के बाद बेनामी संपत्ति के खिलाफ सख्त कानून को ब्लैक मनी के खिलाफ मोदी सरकार के बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा था, लेकिन नया कानून बनने के डेढ़ साल बाद भी जुडिशल अथॉरिटी का गठन नहीं हो पाना सवाल खड़े करता है। मौजूदा सरकार ने बेनामी संपत्ति लेनदेन कानून (1988) को संशोधित और मजबूत कर उसे एक नवंबर 2016 से लागू किया। उसी महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालेधन से निपटने के लिए नोटबंदी जैसे बड़े कदम की घोषणा की थी। इस कानून की धारा 7 के तहत 7 साल तक के कठोर कारावास और संपत्ति के बाजार मूल्य के 25% तक जुर्माने का प्रावधान है।
 
नए बेनामी संपत्ति लेनदेन कानून के तहत सकार को 3 सदस्यों वाली एक अथॉरिटी का गठन किया जाना है, जो आयकर विभाग द्वारा इस कानून के तहत की जाने वाली कुर्की की वैधता का फैसला करेगी। लेकिन बीते डेढ़ साल में ऐसी कोई अथॉरिटी गठित ही नहीं की गई है। सरकार इस तरह के मामले तदर्थ आधार पर निपटा रही है और फौरी तौर पर इसका जिम्मा मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून (पीएमएलए) की निर्णायक अथॉरिटी को दे रखी है। यह अथॉरिटी पहले ही काम के बोझ से दबी है। 
 
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