नई दिल्ली। अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने भारत की बीते 10 दिनों की चौंकाने वाली तस्वीर जारी की है। इस तस्वीर में भारत के बड़े हिस्से में आग जैसी लगी दिख रही है। मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ समेत दक्षिण के भी कई राज्यों में लाल निशान दिख रहे हैं, जो ब्लैक कार्बन पोल्यूशन का संकेत दे रहे हैं।
नासा के गॉडडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर स्थित रिसर्च साइंटिस्ट हिरेन जेठवा के मुताबिक तस्वीर में दिख रहे लाल निशान जंगलों की आग नहीं है, बल्कि फसलों के अवशेष जलाया जाना है। तस्वीर में सबसे ज्यादा लाल निशान मध्यप्रदेश में दिखाई दे रहे हैं। यहां किसान गेहूं और धान की फसलों के अवशेष जला रहे हैं। इसका मतलब यह है कि इस समय देश में सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन मध्यप्रदेश कर रहा है।
इसलिए जलाना पड़ रहे फसलों के अवशेष
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि फसलों के अवशेष जलाने का प्रचलन इसलिए तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि किसान अब फसलों की कटाई मशीनों से करने लगे हैं और इसके चलते खेत में अवशेष रह जाते हैं। मजदूरों के जरिए फसलों की कटाई मशीनों से दोगुनी महंगी पड़ती है। देश में होने वाले कुल कार्बन उत्सर्जन में 14 फीसदी हिस्सा फसलों के अवशेष जलाए जाने से पैदा होता है। तस्वीरों के मुताबिक आग की ऐसे निशान सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में देखे गए हैं। यह राज्य गेहूं और धान की खेती में अग्रणी है। मध्य प्रदेश के ही सीहोर जिले में इस साल 10 किसानों को गेहूं की फसल के अवशेष जलाने पर हिरासत में ले लिया गया था क्योंकि उनकी लगाई आग पड़ोस के खेतों तक भी पहुंच गई थी।
गर्मी में इजाफे की एक वजह यह भी
वैज्ञानिकों के मुताबिक पराली जलाने से गर्मी में भी इजाफा हो रहा है। मध्यप्रदेश में इस बार अप्रैल माह में ही गर्मी की तपिश महसूस की गई। गर्मी की वजह से ही ब्लैक कार्बन पलूशन भी फैलता है। सेंटर फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर जीवी रामजानेयुलू का कहना है कि पराली को मैनेज करने के लिए सरकार की मदद की जरूरत है। खासकर गर्मियों में क्योंकि फसल कटाई के बाद खेतों में आग लगाईं जाती है, जो बगल के खेतों में पहुंच जाती है। इसलिए यदि सरकार कड़े कदम उठाएगी तो इसे पराली जलाने पर रोक लगेगी।