नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में चुनाव से पहले कांग्रेस ने बड़ा फेरबदल किया है। राज्य में पार्टी की कमान पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ को सौंपी गई है। उन्हें अरुण यादव के स्थान पर प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। उनके अलावा चार कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए हैं। दूसरी तरफ, ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव प्रचार समिति का चेयरमैन बनाया गया है। कार्यकारी अध्यक्षों में बाला बच्चन, रामनिवास रावत, जीतू पटवारी और सुरेंद्र चौधरी शामिल हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बाद 71 वर्षीय कमलनाथ ने कहा कि वे प्रदेश में भाजपा और गैर धर्मनिरपेक्ष ताकतों की हार सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे।
जानें कमलनाथ को
कमलनाथ के पक्ष में सबसे बड़ी बात उनका सियासी अनुभव है।
कोलकाता के रहने वाले कमलनाथ 1980 के चुनाव में पहली बार संजय गांधी के कहने पर छिंदवाड़ा से चुनावी मैदान में उतरे तो अबतक वहीं पर कायम हैं।
एक लोकसभा चुनाव छोड़ नौ चुनाव जीतने वाले कमलनाथ ने आदिवासी जिले छिंदवाड़ा का कायाकल्प कर रखा है।
वे छिंदवाडा के विकास मॉडल को आगे जाकर भुना सकते हैं।
उनकी बात कांग्रेस के सारे नेताओं के साथ ही जनता भी सुनती है।
फिलहाल दिल्ली और छिंदवाड़ा की राजनीति करते करते प्रदेश के बाकी हिस्से से वे दूर रहे हैं।
संसाधनों की बहुलता भी उनकी बड़ी ताकत है। वे बड़े कारोबारी हैं।
संजय गांधी के लिए तिहाड़ जेल गए थे नाथ
कमलनाथ नेहरू-गांधी परिवार के काफी करीबी नेताओं में गिने जाते रहे हैं। वो इंदिरा गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी के काफी करीब रहे हैं। उन्होंने 1968 में मात्र 22 साल की उम्र में कांग्रेस का हाथ थामा था। वे देहरादून के दून स्कूल में संजय गांधी के साथ पढ़ते थे। 1977 में जब केंद्र में पहली गैर कांग्रेसी और जनता पार्टी की सरकार बनी और 1979 में संजय गांधी को तिहाड़ जेल भिजवाया था, तब इंदिरा गांधी संजय गांधी की सुरक्षा को लेकर चिंतित हो गई थीं।
तब कमलनाथ ने नाटकीय घटनाक्रम में तिहाड़ जेल में एंट्री ली थी। कमलनाथ ने संजय गांधी का मुकदमा सुन रहे जज पर कागज के गोले फेंके थे। कमलनाथ जज को बार-बार कहने लगे कि इस हरकत के लिए आप ही जिम्मेदार हो। इससे गुस्साए जज ने कमलनाथ पर 500 रुपए का जुमार्ना लगा दिया था लेकिन उन्होंने जुर्माना भरने से इनकार कर दिया तो वे सात दिनों के लिए तिहाड़ जेल भेज दिए गए थे।