नई दिल्ली। लंबे समय से स्कूल-कॉलेज के बच्चों को सेक्स एजुकेशन दिए जाने को लेकर चल रही बहस के बीच अब सेक्स एजुकेशन देश के स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना 'आयुष्मान भारत' के तहत छत्तीसगढ़ के बीजापुर से इस योजना की शुरुआत करने जा रहे हैं।
इस प्रोग्राम में स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 'रोल प्ले और एक्टिविटी बेस्ड' मॉड्यूल को बाद में कई चरणों में पूरे देश के स्कूलों में लागू किया जाएगा और इसके लिए खासतौर से प्रशिक्षित शिक्षकों और साथी एजुकेटर यानी चुने हुए स्टूडेंट्स की मदद ली जाएगी। इस पाठ्यक्रम में बढ़ते बच्चों के जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओें को शामिल किया जाएगा, जिनमें यौन और प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य, यौन उत्पीड़न, गुड टच और बैड टच, पोषण, मानसिक स्वास्थ्य, यौन संबंधों से होने वाले रोग, गैर संक्रामक रोग, चोट और हिंसा आदि शामिल होंगे।
नौवीं से बारहवीं तक के बच्चों पर ध्यान
बीजपुर पूरे देश के 115 'आकांक्षी जिलों' में शामिल हैं, जिनकी पहचान सरकार ने की है। इस कार्यक्रम के तहत सरकार जिलों में हर समय निगरानी के द्वारा विकास कार्य करती है। अधिकारी ने बताया, 'पहले चरण में नौवीं से बारहवीं तक के स्टूडेंट्स पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और बाद में इसमें छोटी क्लासेज के बच्चों को भी शामिल किया जाएगा।' इसके लिए हर स्कूल के दो शिक्षकों का चयन कर उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा।
यूपीए सरकार में बनी थी योजना
सबसे पहले मनमोहन सिंह सरकार में भी इस तरह की योजना पर काम किया गया था, लेकिन साल 2005 में भाजपा नेता वेंकैया नायडू की अध्यक्षता वाली राज्यसभा की समिति ने इसकी आलोचना की थी। इस समिति ने यूपीए की योजना का विरोध करने के साथ ही उसे 'चालाकी भरी मीठी भाषा बताया था, जिसका वास्तविक उद्देश्य स्कूलों में सेक्स शिक्षा देना और स्वच्छंदता को बढ़ावा देना है।