नई दिल्ली। देश के इतिहास में संभवत: पहली बार ऐसा हुआ कि किसी नामचीन संगठन के आह्वान के बिना ही आज (मंगलवार को) देशव्यापी बंद होने की सनसनी फैली। हालांकि इस भारत बंद का सबसे ज्यादा असर बिहार में देखा जा रहा है। यहां कई जगह बवाल, आगजनी, सड़क जाम वे रेल भी रोका गया। वहीं देश के दूसरे हिस्सों में इस बंद का ज्यादा असर नहीं दिख रहा है। वहीं इससे पहले सोमवार को देश का गृह मंत्रालय भी आगे आया। उसने सुरक्षा चाक-चौबंद रखने और हिंसा रोकने के लिए सभी राज्यों को परामर्श (एडवायजरी) जारी कर दिया।
दो अप्रैल को दलितों के भारत बंद के खिलाफ आज आरक्षण विरोधियों की तरफ से भारत बंद का अह्वान किया गया है। बता दें कि इससे पहले दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया था। दलितों के इस प्रदर्शन ने हिंसा का रूप ले लिया था। इस प्रदर्शन में 10 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थई। पिछली बार की तरह इस बार कोई बड़ी घटना ना हो इसलिए केंद्र सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद करने और हिंसा रोकने के लिए सभी राज्यों के लिए परामर्श जारी किया है। गृह मंत्रालय ने कहा कि अपने इलाकों में होने वाली किसी भी हिंसा के लिए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।
गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सोशल मीडिया पर जाति के आधार पर आरक्षण के खिलाफ ओबीसी और जनरल वर्ग के कई संगठनों ने मंगलवार को भारत बंद का आह्वान किया है। सोशल मीडिया पर इसका प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वाट्सएप पर इस मैसेज को खूब शेयर किया जा रहा है और लोगों से भारत बंद का समर्थन करने की अपील की जा रही है।
इसे देखते हुए सभी राज्य सरकारों को सुरक्षा चाक चौबंद करने और हिंसा रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है। इसके तहत संवेदनशील स्थानों पर गस्त बढ़ाना और बंद के दौरान उत्पात की आशंका वाले जगहों पर पुलिस बल की तैनाती शामिल है। गृहमंत्रालय ने राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि इस दौरान किसी तरह की जान-माल का नुकसान नहीं होना चाहिए। यदि किसी क्षेत्र में ऐसा होता है, तो उसके लिए सीधे तौर पर उस इलाके के एसएसपी और डीएम को जिम्मेदार माना जाएगा।