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बलात्कारियों पर बरसे सत्यार्थी, जानिये क्या कहा...

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 20 2018 4:57PM | Updated Date: Mar 20 2018 4:57PM
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नई दिल्ली। बच्चों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता तथा नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने मंगलवार को कहा कि समाज में बलात्कार की घटनाओं को हतोत्साहित करने के लिए धर्मगुरुओं को आगे आकर कहना चाहिये कि बलात्कारियों को धर्म से बाहर निकाल दिया जाएगा। 'कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन' द्वारा यहाँ मीडिया के लिए आयोजित एक कार्यशाला में  सत्यार्थी ने कहा "बच्चों के प्रति अपराध और बलात्कार की घटनाएँ रोकने का काम सिर्फ पुलिस, गैर-सरकारी संगठन और न्यायपालिका नहीं कर सकती। इसके लिए धर्मगुरुओं को भी आगे आना होगा। उन्हें मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों से यह घोषणा करनी होगी कि यदि किसी ने इस तरह का घिनौना काम किया तो उसे धर्म से बाहर निकाल दिया जायेगा। उन्होंने बाल अपराध से जुड़े मामलों के जल्द निपटारे के लिए जिला स्तर पर विशेष अदालतों के गठन और एक राष्ट्रीय बाल प्राधिकरण बनाने की अपनी मांगें भी दोहराई। उन्होंने कहा कि ये दोनों माँगें पूरी होने पर कानून और उसके क्रियान्वयन में बाधा बन रही संस्थागत कमी की खाई पट जायेगी। 

नोबल पुरस्कार विजेता ने मीडिया को भी सिर्फ सनसनीखेज खबरों से हटकर इन मामलों की न्यायिक प्रगति के बारे में विस्तार से जानकारी लोगों तक पहुँचाने की अपील की। उन्होंने कहा कि मीडिया और न्यायपालिका की सोच सरकार और पूरी राजनीतिक व्यवस्था की सोच से कहीं आगे है। मीडिया को अपना रुख पेशेवराना रखना होगा तथा पूरी लगन के साथ एक ध्येय के लिए काम करना होगा। 
 
बाल अपराध और बाल मजदूरी को सामाजिक और सांस्कृतिक समस्या करार देते हुये  सत्यार्थी ने कहा कि 38 साल पहले पंजाब में बंधुआ मजदूरों और उनके परिवारों समेत 36 लोगों को एक ईंट भट्ठे से छुड़ाने के साथ उन्होंने जो आंदोलन शुरू किया था वह अभी परिणति पर नहीं पहुँचा है। उन्होंने कहा अभी भी यह मसला खत्म नहीं हुआ है। दो साल की, आठ महीने की बेटियों के साथ बलात्कार हो रहा है। स्कूलों में छह साल, आठ साल के लड़कों से दुष्कर्म किया जा रहा है। हर घंटे देश में चार बलात्कार होते हैं और आठ बच्चों के गायब होने के मामले सामने आते हैं। सत्याथी ने कहा कि अदालतों में इन मामलों की त्वरित सुनवाई होनी चाहिये क्योंकि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आँकड़े कहते हैं कि पोस्को के तहत जो मामले लंबित हैं, यदि इसी रफ्तार से सुनवाई होती रही तो उनके निपटने में ही 50 साल लग जायेंगे।
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