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कोलकाता रेप-मर्डर पर SC ने डॉक्टर की सुरक्षा के लिए 8 सदस्यीय नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 20 2024 1:54PM | Updated Date: Aug 20 2024 1:54PM
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कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या का मामला देशभर में गरमाया हुआ है। देशभर के डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए हड़ताली डॉक्टरों से काम पर लौटने का आग्रह किया है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच इस मामले की सुनवाई की। CJI ने कहा कि हमने इस मामले पर स्वत: संज्ञान इसलिए लिया है क्योंकि रेप-हत्या के अलावा यह देशभर में डॉक्टरों की सुरक्षा का मामला है। हम डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सुनवाई करेंगे। हमें डॉक्टर्स, खासकर महिला डॉक्टर और युवा डॉक्टर्स की सुरक्षा को लेकर चिंता है।

शीर्ष अदालत ने हड़ताली और प्रदर्शनाकरी डॉक्टरों से कहा कि आप हम पर भरोसा करें। जो डॉक्टर हड़ताल पर हैं वह इस बात को समझे की पूरे देश का हेल्थ केयर सिस्टम उनके पास है। हम आपसे काम पर लौटने की अपील कर रहे हैं। हम डॉक्टरों से अपील करते हैं कि हम उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यहां बैठे हुए हैं। हम इसे हाईकोर्ट के लिए नहीं छोडेंगे। ये बड़ा राष्ट्रहित का मामला है। हम कोर्ट की निगरानी में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए एक नेशनल टास्क फोर्स बनाने जा रहे जिसमें सभी डॉक्टरों की भागीदार हों। सीजेआई ने कोर्ट की निगरानी में 8 सदस्यीय टास्क फोर्स बनाने का आदेश दे दिया। टास्क फोर्स में ये एक्सपर्ट्स शामिल हैं।

1.एडमिरल आर सरीन, महानिदेशक चिकित्सा सेवा नौसेना

2.डॉ डी नागेश्वर रेड्डी

3.डॉ एम श्रीनिवास, एम्स दिल्ली निदेशक

4.डॉ प्रतिमा मूर्ति, निमहंस बैंगलोर

5.डॉ गोवर्धन दत्त पुरी, एम्स जोधपुर

6.डॉ सोमिकरा रावत, सदस्य गंगाराम अस्पताल दिल्ली

7.प्रोफ़ेसर अनीता सक्सेना, कुलपति

8.पल्लवी सैपले, जेजे ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल्स

9.पद्मा श्रीवास्तव, पारस अस्पताल गुड़गांव में न्यूरोलॉजी की अध्यक्ष

सुप्रीम कोर्ट ने टास्क फोर्स से तीन हफ्ते में अंतरिम रिपोर्ट और दो महीने में फाइनल रिपोर्ट सौंपने का आदेश जारी किया है। शीर्ष अदालत ने देर से एफआईआर और माता पिता को बॉडी दिखाने में देरी करने को लेकर  पश्चिम बंगाल सरकार और हॉस्पिटल प्रशासन को जमकर फटकार लगाई। सीजेआई ने पूछा कि एफआईआर देर से क्यों दर्ज करवाई गई थी। शीर्ष अदालत ने कहा की राज्य सरकार ये सुनिश्चित करें की जो लोग तोड़फोड़ में शामिल थे उनके खिलाफ करवाई करें।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि प्रिंसिपल ने इसे आत्महत्या बताने की कोशिश की है। पीड़ित परिवार को बॉडी तक नहीं देखने दी गई। उनके माता पिता को काफी देर बाद बॉडी दिखाई गई। देर शाम तक एफआईआर नहीं हुई। हैरानी की बात तो ये है कि पीड़िता की पहचान उजागर कैसे हुई? जब 7 हजार लोग अस्पताल में घुसे तब पुलिस वहां क्या कर रही थी। वहां बहुत गंभीर मामला  हम सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट चाहते हैं। 

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