करगिल। सरकार ने पाकिस्तान से लगती नियंत्रण रेखा के समीप करगिल की छवि बदलने की ठान ली है और यहां मौजूद विश्व की अनूठी बौद्ध विरासत एवं साहसिक खेलों की संभावनाओं को पर्यटन मानचित्र पर उभारने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल करगिल की दो दिन की यात्रा पूरी करने से पहले आज यहां राष्ट्रीय पर्यटन दिवस के कार्यक्रम में शामिल हुए। इससे पहले उन्होंने रविवार को मुनबेख चंबा बौद्ध मठ और 30 फुट ऊंची मैत्रेयी बुद्ध की प्रतिमा के दर्शन किए जिसे बामियान की 70 फुट ऊंची बौद्ध प्रतिमा के ध्वंस के बाद विश्व की सबसे बड़ी बौद्ध प्रतिमा माना जाता है।
करगिल के बेमाथांग आइस ग्राउंड में राष्ट्रीय आइस स्केटिंग रेस और महिला आइस हाकी के फाइनल मैच के बाद श्री पटेल ने विजेता युवाओं को पुरस्कृत किया। उन्होंने नकतल में लिंकीपाल स्रो स्लोप पर राष्ट्रीय स्कीइंग प्रतियोगिता का उद्घाटन किया था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता लद्दाख के सांसद जम्यांग शेरिंग नामग्याल ने की जिसमें करगिल जिला विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष फिरोज अहमद खान, जिला अधिकारी, पुलिस अधीक्षक आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री पटेल ने कहा, ‘‘करगिल को लेकर दुनिया की धारणा अब बदलनी चाहिए। मुनबेख के मैत्रेयी बुद्ध आपकी विरासत है। विश्व को पता चलना चाहिए कि करगिल युद्ध भूमि नहीं बल्कि बुद्ध भूमि और शांति एवं पर्यटन की जगह है।’’ उन्होंने कहा कि करगिल, द्रास, जंस्कार, बटालिक में होम स्टे को बढ़ावा दिया जाएगा। करगिल में बनने वाला भारतीय स्की एवं पर्वतारोहण संस्थान इसे एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का हिम एवं साहसिक पर्यटन केंद्र के रूप में ख्याति देगा। उन्होंने कहा कि तीन साल के भीतर इस संस्थान में स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण देकर उन्हें ही कोच बनाया जायेगा। करगिल में अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा और यहां से विश्व स्तरीय प्रतिभाएं निकलेंगी।