नई दिल्ली। पाकिस्तान और बंगलादेश की ओर से होने वाली घुसपैठ पर पूरी तरह अंकुश लगाने की कोशिशों के तहत सीमा पर पुरानी पड़ चुकी लोहे के तारों की बाड़ की जगह स्टील से बनी तारों की ऐसी बाड़ लगायी जा रही है जिसे काटा जाना नामुमकिन है।
सीमा पर लगायी जाने वाली इस ‘अनकट’ तार की बाड़ के लिए असम के लाठीटीला सिलचर सेक्टर में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया जिसके तहत आठ किलोमीटर की बाड़ लगायी गयी है। इस बाड़ पर प्रति किलोमीटर लगभग 2 करोड़ रूपये की लागत आती है।
सीमा सुरक्षा बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज यहां बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत बनायी गयी इस बाड़ को काटा जाना नामुमकिन है क्योंकि यह स्टील की बनी है और इसके बीच काटने वाले उपकरण को डालना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि इस बाड़ को बनाने में एक किलोमीटर पर 1.99 करोड़ रूपये का खर्च आता है। पायलट प्रोजेक्ट में 7.18 किलोमीटर लंबी बाड़ बनायी जा रही है जिस पर 14 करोड़ 30 लाख 44 हजार रूपये का खर्च आने का अनुमान है।
यह बाड़ पाकिस्तान के साथ लगती 1900 किलोमीटर लंबी सीमा पर प्राथमिकता के साथ लगायी जायेगी जिसमें पंजाब और जम्मू पर विशेष जोर दिया जायेगा। बाद में यह बाड़ बंगलादेश की 4000 किलोमीटर लंबी सीमा पर भी लगायी जायेगी। फिलहाल बीएसएफ ने घुसपैठ की संभावना वाले जिन स्थानों पर बाड़ कमजोर है वहां अतिरिक्त बलों की तैनाती की है और सीमापार गतिविधियों पर निरंतर नजर रखी जा रही है।
इसके अलावा पाकिस्तान और बंगलादेश से लगती सीमा पर व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली के तहत भी सेंसर युक्त स्मार्ट बाड़ लगायी जा रही है। इसके पहले और दूसरे चरण के तहत 71 किलोमीटर बाड़ लगायी गयी है जो काफी प्रभावशाली साबित हुई है।