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भविष्य में यूरोपीय देशों के राजदूत भी कश्मीर जाएंगे : सरकार

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 10 2020 12:22AM | Updated Date: Jan 10 2020 12:22AM
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नई दिल्ली। सरकार ने आज उन रिपोर्टों का खंडन किया जिनमें कहा गया है कि यूरोपीय देशों के राजदूतों ने जम्मू कश्मीर जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने से इन्कार कर दिया था क्योंकि यह गाइडेड टूर था। सरकार ने यह भी कहा कि यूरोपीय राजनयिकों का दौरा भविष्य में कभी भी हो सकता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जब सरकार ने यूरोपीय राजनयिकों से संपर्क किया तो उन्होंने इस पहल का स्वागत किया। हमारी समझ यह है कि वे एक समूह में जाना चाहते थे। वे बहुत से मुद्दों पर सामूहिक रुख अख्तियार करते हैं।
 
कुमार ने कहा, ‘‘इसलिए हम यूरोपीय राजदूतों के एक दौरे की संभावना पर काम कर रहे हैं। देखते हैं, ये कैसे हो पाता है।’’उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जम्मू कश्मीर दौरे का निमंत्रण यूरोपीय संघ के सभी सदस्यों को नहीं भेजा गया था क्योंकि इससे प्रतिनिधिमंडल बहुत बड़ा हो जाता। हम चाहते थे कि प्रतिनिधिमंडल का आकार इतना बड़ा हो जिसका आसानी से प्रबंधन किया जा सके। नई दिल्ली स्थित 15 राजदूतों का एक समूह गुरुवार को केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के दौरे पर गया है।
 
इस समूह में अमेरिका, दक्षिण कोरिया, विएतनाम, बंगलादेश, फिजी, मालदीव, नॉर्वे, फिलीपीन्स, मोरक्को, अर्जेण्टीना, पेरू, नाइजर, नाईजीरिया, गुयाना एवं टोगो के राजनयिक शामिल हैं। प्रवक्ता ने कहा कि आज सुबह श्रीनगर आगमन के बाद उनकी कई बैठकें हुईं हैं। पहली बैठक सुरक्षा अधिकारियों के साथ हुई जिसमें उन्होंने आतंकवाद के खतरे सहित सुरक्षा चुनौतियों को समझा। इसके बाद सिविल सोसाइटी के विभिन्न वर्गों के लोगों के साथ बैठकें हुईं।
 
राजनयिकों ने स्थानीय मीडिया और राजनीतिक दलों के नेताओं से भी बातचीत की। दिल्ली लौटने से पहले समूह की जम्मू में कुछ और बैठकें होंगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने इस बात का खंडन किया कि राजनयिकों ने जेल में बंद कश्मीरी नेताओं जैसे उमर अब्दुल्ला, फारुक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, से मिलने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि ऐसी कोई मांग नहीं की गयी थी। उन्होंने कहा कि यात्रा का उद्देश्य यह था कि वे जान सकें कि स्थिति को सामान्य बनाने के लिए हाल के सप्ताहों में उठाये गये कदमों का क्या प्रभाव है।
 
आतंकवाद सहित सुरक्षा के खतरों से निपटने के लिए क्या उपाय किये गये हैं। उन्होंने कहा कि इस यात्रा से यह भी संदेश गया है कि अनुच्छेद 370 हटाना शुरुआत मात्र है।
 
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