नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन तथा उद्योगों के बीच तालमेल जरूरी है। सिंह ने डीआरडीओ द्वारा हैदराबाद में आयोजित सम्मेलन को वीडियो कांफ्रेन्स के जरिये संबोधित करते हुए कहा कि स्वदेशी रक्षा प्रणालियों और प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ावा देने के लिए डीआरडीओ तथा उद्योग जगत के बीच समन्वय जरूरी है। रक्षा प्रणालियों के विकास में डीआरडीओ की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि संगठन अपनी स्थापना के समय से ही मिसाइलों, लड़ाकू विमानों, नौसैनिक प्रणालियों, इलेक्ट्रानिक वारफेयर, राडार, सोनार के क्षेत्र में अनुसंधान, डिजायन तथा विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
सिंह ने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने रक्षा उत्पादन नीति में एयरोस्पेस , रक्षा सेवाओं और सैन्य साजो सामान के लिए वर्ष 2025 तक 26 अरब डालर का लक्ष्य रखा है। इसमें से लगभग 10 अरब डालर रोजगार के 20 से 30 लाख अवसर सृर्जित करने के लिए तय किये गये हैं। रक्षा क्षेत्र में नवाचार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए सरकार के विभिन्न कदमों का उल्लेख करते हुए उन्होंने रक्षा क्षेत्र में नवाचार और उन्हें अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कृत्रिम बौद्धिकता से संबंधित 25 उत्पादों को रक्षा क्षेत्र में शामिल करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सार्वजनिक उपक्रमों ,उद्योग, अनुसंधान संस्थानों तथा सेवाओं को बेहतर समन्वय से काम करना होगा।
रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा प्रणाली बनाने वाले 2500 उद्योगों को फलने- फूलने में डीआरडीओ ने मदद की है। उन्होंने कहा कि आत्म निर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए डीआरडीओ और उद्योगों को परस्पर तालमेल और बढ़ाने के उपायों का पता लगाना होगा। डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने संगठन की प्रौद्योगिकी हस्तांतरण , रॉयल्टी तथा घरेलू उद्योगों द्वारा पेटेंटों के निशुल्क इस्तेमाल से संबंधित नीतियों का उल्लेख किया। उन्होंने डीआरडीओ और उद्योग जगत के बीच तालमेल बढ़ाने के लिए अनुकूल माहौल की जरूरत पर बल दिया।